जबलपुर. नगर निगम चुनाव में पहले चरण के मतदान से ठीक पहले एक फर्जी संकल्प पत्र और घोषणा ने सारे समीकरण बिगाड़ दिए. ये फर्जी संकल्प पत्र कांग्रेस के महापौर प्रत्याशी जगत बहादुर सिंह के नाम से था. इसमें मुस्लिम समुदाय से वादा किया गया था. संकल्प पत्र की चर्चा तेजी से फैली. कांग्रेस नेताओं ने सफाई दी लेकिन तब तक तो बात हाथ से निकल चुकी थी.
नगरीय निकाय चुनाव में जबलपुर में कांग्रेस का फर्जी संकल्प पत्र मानो बखेड़ा सा बन गया. मतदान के ठीक 1 दिन पहले कांग्रेस प्रत्याशी जगत बहादुर सिंह अन्नू के नाम से कुछ पोस्टर शहर के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में चस्पा कर दिए गए. उनमें वर्ग विशेष के लिए कई घोषणाओं का जिक्र कर दिया गया. बात यहां तक रहती तो सब कुछ ठीक था लेकिन इस घोषणा पत्र में हिंदुओं की आस्था का केंद्र मां नर्मदा के किनारे मस्जिद के लिए जमीन एलॉट करने का वादा था. इस घोषणा ने मानो आग में घी डाल दिया. जैसे तैसे कांग्रेस प्रत्याशी ने इस फर्जी संकल्प पत्र के लिए स्पष्टीकरण दिया और शिकायत की तो मतदान के दिन बात धमकी तक आ पहुंची.
हम याद रखेंगे…
इस मामले को तूल देते हुए बीजेपी ने कल मां नर्मदा तट ग्वारीघाट तक यात्रा निकाली. उसमें कुछ मिनटों के लिए कैबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त मध्य प्रदेश गोपालन बोर्ड के उपाध्यक्ष और पशु संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानंद भी शामिल हो गए. उन्होंने इस मामले को लेकर कांग्रेस प्रत्याशी और कांग्रेस को लेकर बयानबाजी कर दी. जब यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हुए तो कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने अखिलेश्वरानंद को व्हाट्सएप मैसेज कर दिए. इस बीच जो व्हाट्सएप मैसेज सुर्खियां बना वह राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा का था. अखिलेश्वरानंद गिरि को किए गए व्हाट्सएप मैसेज में लिखा था” यह सब झूठा तमाशा क्यों कर रहे हैं, आप एक सरकारी पोस्ट में भी है, यह सब हम याद रखेंगे.
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हॉट सीट पर विवाद
बेशक राज्यसभा सांसद याद रखने की बात यूं ही कह गए हों लेकिन स्वामी अखिलेशरानंद गिरि ने इसे धमकी माना. फिर क्या था फर्जी संकल्प पत्र से शुरू हुआ विवाद धमकी तक आ पहुंचा. अब इस मामले को लेकर शिकायत किए जाने की भी चर्चा है. जो भी हो सूबे की हॉट सीट मानी जा रही जबलपुर नगर निगम महापौर पद पर कड़ी टक्कर देखी जा रही है. भाजपा प्रत्याशी जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी माने जा रहे हैं तो जमीन से जुड़े जगत बहादुर सिंह कल्लू भी आम जनता के बीच अपनी अपनी पकड़ रखते हैं. अब जंग का फैसला 17 तारीख को सामने आएगा. लेकिन इस बीच जो कुछ भी हुआ वह आसानी से भुलाया नहीं जा सकेगा.
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