जबलपुर. रेप केस में फंसे पुलिस कॉन्स्टेबल के मामले में डीएनए सैंपल से छेड़छाड़ पर जबलपुर हाईकोर्ट ने गंभीर चिंता जताई है. आरोपी पुलिस आरक्षक की याचिका खारिज करते हुए हाइकोर्ट ने सिस्टम पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं. आरोपी पुलिस कॉन्स्टेबल सहित जांच करने वाले अधिकारियो का दूर जिले में ट्रांसफर करने का आदेश हाईकोर्ट ने दिया है.
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में जांचकर्ता अधिकारी और याचिकाकर्ता आरोपी पुलिस आरक्षक को दूरस्थ जिले पर तबादला करने के निर्देश दिए हैं. ताकि वह साक्ष्य और गवाहों को प्रभावित ना कर सकें. इसके साथ ही अदालत ने छिंदवाड़ा पुलिस अधीक्षक, जबलपुर जोन आईजी और एडीजीपी समेत छिंदवाड़ा सिविल सर्जन की कार्यशैली पर संदेह जताया है.
ये है मसला
पूरा मामला अनुसूचित जनजाति अधिनियम और रेप से जुड़ा हुआ है. इसमें एक महिला ने पुलिस आरक्षक पर बलात्कार का आरोप लगाया था. उसके बाद छिंदवाड़ा जिले में पुलिस आरक्षक अजय साहू के विरुद्ध एफ आई आर दर्ज की गई थी. शिकायत के मुताबिक पीड़िता का 8 हफ्तों का गर्भपात भी आरोपी आरक्षक ने जिला अस्पताल में करवा दिया था. और फॉरेंसिंक एविडेंस को तोर मरोड़ दिया गया ताकि कोई सबूत न रह जाए. सबूत के अभाव में पीड़िता के साथ न्याय नहीं हो पा रहा.
हाईकोर्ट का ये है आदेश
20 से अधिक पन्नों के अपने आदेश में हाई कोर्ट ने कहा जिस तरह से जांचकर्ता अधिकारियों ने मामले में साक्ष्यों के साथ खिलवाड़ किया है उससे अब सीबीआई को भी जांच सौंपने से तात्कालिक राहत की उम्मीद नहीं है. हाईकोर्ट ने राज्य स्तर पर गठित स्टेट लेवल विजिलेंस एंड मॉनिटरिंग कमेटी की कार्यशैली पर भी आपत्ति जताई है. आरोपी पुलिसकर्मी अजय साहू की जमानत याचिका रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने चीफ सेक्रेट्री मध्य प्रदेश को आदेश दिए हैं कि वह तत्काल रूप से दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करें.
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