जबलपुर/नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनाव मामले में मध्य प्रदेश सरकार से ओबीसी आरक्षण से संबंधित डाटा मांगा है. मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि ओबीसी आरक्षण संबंधित डाटा 25 मई तक तैयार हो जाएगा. इसलिए सरकार को थोड़ा समय दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात भी हैरानी जताई कि मध्य प्रदेश में पिछले 2 साल से 23 हजार पंचायत सीटें खाली हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि अगर मध्य प्रदेश सरकार द्वारा दिया गया डाटा पूर्ण नहीं होगा, तो महाराष्ट्र के आधार पर यहां पंचायत चुनाव होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम हैरान हैं कि बिना किसी रिप्रेजेंटेटिव के 23000 पंचायत पद मध्य प्रदेश में खाली हैं. इस पर मध्य प्रदेश सरकार ने कहा कि जल्द ही सरकार इस मामले में संबंधित डाटा एकत्र करेगी. सुप्रीम कोर्ट अब शुक्रवार को दोपहर 2 बजे मामले की सुनवाई करेगा. बता दें, एमपी में 321 नगरीय निकाय के पद भी खाली हैं.
इंदौर के शख्स ने लगाई सुप्रीम कोर्ट में याचिका
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने क्वान्टेफायबल डेटा के बिना निकाय और पंचायत चुनावों में ओबीसी आरक्षण देने पर रोक लगा रखी है. इस पर महाराष्ट्र सरकार को बड़ा झटका लग चुका है. यहां ओबीसी के राजनैतिक पिछड़ेपन का आधार पेश न करने पर सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में आरक्षण के बिना ही निकाय चुनाव करवाने के आदेश दिए हैं. इस बीच इंदौर के सुरेश महाजन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर की गई. इसमें मध्य प्रदेश में पंचायत और निकाय चुनाव जल्द करवाने की मांग की गई.
याचिका में कही ये बात
याचिका में कहा गया है कि समय पर चुनाव करवाना निर्वाचन आयोग का संवैधानिक कर्तव्य है. प्रदेश में आरक्षण सहित परिसीमन का अधिकार राज्य सरकार की बजाय चुनाव आयोग को सौंपा जाना चाहिए. बुधवार को मामले पर सुनवाई के दौरान राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से कहा गया कि वो खुद समय पर चुनाव करवाना चाहता है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि मध्यप्रदेश सरकार पंचायतों के आरक्षण और परिसीमन कि प्रक्रिया जल्द पूरा करे. मामले पर जवाब देने के लिए राज्य सरकार ने 24 घंटों का वक्त मांगा था. गुरुवार को सरकार की ओर से जवाब पेश किया गया.
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