मध्य प्रदेश में बच्चों को कैसे उच्चस्तरीय और बेहतर शिक्षा दी जाए, इस पर हमेशा बहस चलती है, लेकिन जमीनी हकीकत इसके ठीक विपरीत है. खंडवा के नागचून मिडिल स्कूल में छात्रों को पीने के लिए कई किमी दूर से पानी सिर पर ढोकर सड़क पार करके लाना पड़ता है.
'स्कूल चलें हम', 'सब पढ़ें, सब बढ़ें' जैसे नारों के बीच ध्वस्त होती खंडवा के नागचून माध्यमिक स्कूल की शिक्षा व्यवस्था का हाल देखिए. ये प्रदेश के शिक्षा मंत्री विजय शाह के गृह जिले के बच्चों की हालत है, जहां स्कूल के बच्चों को दो किमी दूर से पीने का पानी सड़क मार्ग से ढोकर लाना पड़ता है.
दरअसल पिछले कई महीनों से स्कूल का हैंडपंप खराब पड़ा हुआ है. इस कारण 300 बच्चों को हर दिन पीने और खाना खाने के बाद बर्तन धोने के लिए जलसंकट का सामना करना पड़ता है. इन बच्चों का पानी भरके लाने में ही रोजाना दो घंटे का समय निकल जाता है.
स्कूल में 300 बच्चों पर तीन शिक्षिकाएं हैं, जिनमें बारी-बारी से एक शिक्षिका गायब रहती है. स्कूल लगते ही बच्चों को पानी लाने के लिए बोल दिया जाता है और बच्चे निकल पड़ते हैं 'मिशन वॉटर' पर. खेलते-कूदते, हांफते बच्चे अपना मिशन पूरा कर स्कूल पहुंचते हैं. जिस तरह सड़कों पर से चलकर इन्हें पानी ढो-ढोकर लाना पड़ता है, उसमे सड़कों पर तेज रफ्तार से दौड़ने वाले वाहनों से कभी भी हादसा हो सकता है. थकने के बाद इनका पढ़ाई में कितना मन लगता होगा, ये आप भी भली भांति समझ सकते हैं.
इधर जब स्कूल की शिक्षकाओं से इस संबंध में चर्चा की गई तो उनका साफ तौर पर कहना था कि स्कूल में जल संकट है, इसलिए बच्चों को पानी दूर से लाना पड़ रहा है. कई बार शिकायत के बावजूद समस्या का समाधान नहीं हो पाया है.
जिले में स्कूल शिक्षा अभियान के डीपीसी नीलेश रघुवंशी से जब इस संबंध में चर्चा की गई तो उनका साफ कहना था कि स्कूल में हैंडपंप खराब है, इसकी सूचना अब तक स्कूल प्रबंधन ने नहीं दी है. जल्द ही हैंडपंप की मरम्मत करवा दी जाएगी.
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