कैलाश मकवाना को लोकायुक्त डीजी पद से हटाने पर सोशल मीडिया पर लोग सरकार को जमकर ट्रोल कर रहे हैं. उनके समर्थन में कई अफसरों ने भी पोस्ट लिखी है. (फाइल फोटो)
भोपाल. दबंग और ईमानदार पुलिस अफसरों में शुमार लोकायुक्त डीजी कैलाश मकवाना को शिवराज सरकार ने महज छह महीने में ही हटा दिया. मप्र के इतिहास में पहली बार आईएएस अफसर रमेश थेटे को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ने वाले मकवाना को पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन भेजा गया है. न्यूज 18 में एक्सक्लुसिव पढ़िए मकवाना के हटाए जाने की कहानी…
1988 बैच के आईपीएस अधिकारी कैलाश मकवाना ने लोकायुक्त डीजी बनते हुए आईएएस अफसरों के खिलाफ मामले दर्ज करना शुरू कर दिए थे. कुछ वक्त पहले महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा कुपोषित बच्चों को पोषण आहार में बड़ा घोटाला सामने आया. कैग ने यह फर्जीवाड़ा उजागर करते हुए मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस कार्रवाई के निर्देश दिए थे. वहां तो यह मामला दब गया लेकिन मकवाना ने घोटाले की जांच के लिए लोकायुक्त को फाइल भेजी थी. सूत्र बताते हैं कि लोकायुक्त ने इस मामले में कोई कार्रवाई करने के बजाए मप्र सरकार को बताकर मकवाना के स्थानांतरण के लिए तैयार किया. इसी बीच एक और मामले में सरकार के बड़े अफसरों की सांसे अटक गईं. यह मामला आयुष्मान भारत योजना से जुड़ा था. इसमें सरकार के चहेते और बड़े अफसर जांच की जद में आ रहे थे. जैसे ही मकवाना इसकी फाइल भेजी, वैसे ही सरकार ने उनका ट्रांसफर आर्डर थमा दिया.
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सबसे बड़ी वजह… बड़े अफसर पर एफआईआर का था खतरा
स्वास्थ विभाग में पदस्थ रहीं राज्य प्रशासनिक सेवा की अफसर सपना लोवंशी आयुष्मान भारत योजना की वजह से विवादों में चल रही हैं. उनसे संबंधित एक वीडियो भी इस समय सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इसमें कथित तौर पर खुद को सपना का देवर बताने वाला विमल नौ लाख रुपये एक हॉस्पिटल संचालक से लेता दिखाई दे रहा है. सूत्र बताते हैं कि मकवाना ने यह वीडियो देखकर योजना से जुड़े सभी अफसरों के खिलाफ जांच के लिए फाइल लिख दी थी. इसकी जद में सरकार के सबसे पसंदीदी और सीनियर ऑफिसर भी आ रहे थे. वहीं, सपना के खिलाफ कुछ दिन पहले लोकायुक्त पुलिस को कई गंभीर शिकायतें भी मिली थी. मकवाना ने इस मामले में कार्रवाई के लिए फाइल लोकायुक्त गुप्ता को भेजी थी, लेकिन उन्होंने न सिर्फ इस फाइल को नस्तीबद्ध कर दिया बल्कि सरकार तक फिर यह सूचना पहुंचा दी कि मकवाना किस तरह से सरकार के चहेते अफसरों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं.
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मुख्यमंत्री के भी चहेते अफसर रहे हैं मकवाना
मुख्यमंत्री चौहान भी मकवाना की कार्यप्रणाली को पसंद करते हैं. यही वजह थी कि कई दावेदार होने के बावजूद मुख्यमंत्री ने मकवाना को लोकायुक्त में पदस्थ किया था. वहीं, मकवाना ने लोकायुक्त एसपी रहते हुए आईएएस अफसर रमेश थेटे को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था. मप्र के इतिहास में यह पहला मौका था, जब कोई आईएएस अफसर रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया था. अपने छह महीने के छोटे से कार्यकाल में भी मकवाना ने भ्रष्ट अधिकारियों को हिला कर रख दिया था. उन्होंने आईएएस अफसर तरुण भटनागर, आईएफएस अफसर सत्यानंद समेत कई अधिकारियों के खिलाफ मामले दर्ज किए थे.
लोकायुक्त से नहीं मिल रही थी कार्रवाई की अनुमतियां
लोकायुक्त पुलिस को कोई भी कार्रवाई करने के पहले लोकायुक्त संगठन से अनुमति लेनी होती है. यह अनुमति कब मिलेगी, इसकी कोई समय सीमा भी नहीं है. वहीं, मकवाना ने ऐसे कई गंभीर मामले पकड़ लिए थे जिसमें अधिकारियों के खिलाफ ठोस सबूत और दस्तावेज थे. मकवाना ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई चाहते थे, लेकिल लोकायुक्त अनुमति देने के लिए तैयार नहीं थे. इस वजह से दोनों के बीच पटरी नहीं बैठ रही थी.
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