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MP का बुरहानपुर कैसे बना दूर-दराज गांवों के हर घर में नल का जल पहुंचाने वाला देश का पहला जिला?

बुरहानपुर बना हर घर में नल का जल पहुंचाने वाला देश का पहला जिला.(News18)

बुरहानपुर बना हर घर में नल का जल पहुंचाने वाला देश का पहला जिला.(News18)

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में 129 करोड़ की कुल लागत से अब केंद्र सरकार की प्रमुख योजना हर घर जल के तहत 254 गांवों क ...अधिक पढ़ें

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हाइलाइट्स

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में 254 गांवों के सभी 1 लाख घरों में पीने के पानी का कनेक्शन लगा.
129 करोड़ की कुल लागत से केंद्र सरकार की योजना हर घर जल के तहत हुआ काम पूरा.
दूसरे राज्यों के 111 जिलों ने भी लक्ष्य पूरा करने की सूचना दी. मगर केवल बुरहानपुर इसे प्रमाणित करने में सक्षम.

सृष्टि चौधरी
नई दिल्ली.
2020 में जब कोरोना महामारी अपने चरम पर थी, तब मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के स्थानीय अधिकारियों ने हर ग्रामीण घर में पीने योग्य नल के पानी का कनेक्शन उपलब्ध कराने के लिए आधार तैयार करना शुरू किया. जो एक ऐसा काम लग रहा था, जिसमें लंबा समय लगने वाला था. जिले भर में फैले 254 से अधिक गांवों में जिनके कुल क्षेत्रफल का 60% वनों से घिरा है, पहुंचना एक चुनौती थी. जिसके लिए सावधानीपूर्वक काम करने की जरूरत थी. हालांकि दूसरे राज्यों के 111 जिलों ने भी लक्ष्य पूरा करने की सूचना दी है, मगर बुरहानपुर एकमात्र ऐसा जिला है जो इसे प्रमाणित करने में सक्षम है. सभी 254 गांवों के लोगों ने ग्राम सभा में एक प्रस्ताव पारित किया और प्रमाणित किया कि उन्हें नल के माध्यम से सुरक्षित पेयजल उपलब्ध है.

जिले के मुख्य अभियंता प्रताप बुंदेला ने News18 को बताया कि सुरक्षा को लेकर भी चिंताएं थीं और हमें कोविड प्रोटोकॉल और प्रतिबंधों का पालन करना था. किसी तरह लगभग चार महीनों में बुनियादी सर्वेक्षण पूरा हो गया और सितंबर तक निविदा प्रक्रिया शुरू हो गई थी. अगले कुछ महीनों के दौरान जैसे ही महामारी की पहली लहर उठी और घटी. राज्य में सत्ता परिवर्तन हुआ और 28 से अधिक विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव के साथ ही सरकार की हर घर जल योजना पर काम फिर से शुरू हो गया. दो साल बाद बुरहानपुर जिला हर ग्रामीण परिवार को पीने के पानी का कनेक्शन प्रदान करने वाला देश का पहला जिला बन गया है. इस पूरे मिशन को कुल 129 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया गया.

भूजल संकट
जिले के बड़े क्षेत्रों में पानी की अधिक खपत वाली फसलों गन्ना और केले की खेती के कारण भूजल स्तर भी गिर गया है. जिले के  अधिकारियों के अनुसार कई गांव ऐसे थे, जहां फसलों की सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी निकालने के लिए लगभग 1,000 फीट तक के नलकूप खोदे जाते हैं. पानी की गुणवत्ता उतनी चिंता का विषय नहीं थी, जितनी जल स्तर थी. बुंदेला ने कहा कि ज्यादातर नलकूप 800 फीट की गहराई पर थे, उनमें से कुछ 1,000 फीट की ऊंचाई पर भी थे. पहले लगाए गए हैंडपंप भी सूख गए थे. योजना से पहले कम से कम 161 गांवों में नल के पानी का कनेक्शन था, इसलिए बहुत सारी रेट्रो-फिटिंग करनी पड़ी.

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अब जिले के 254 गांवों के लोग नल के पानी के कनेक्शन के लिए 60 रुपये से 100 रुपये का भुगतान करते हैं. नल कनेक्शन स्थापित होने के साथ ही उनका संचालन, रखरखाव और मरम्मत गांव की जल और स्वच्छता समितियों पर छोड़ दिया जाता है. जो उपयोगकर्ता से शुल्क एकत्र करने के लिए भी जिम्मेदार होती हैं. इसे एक बैंक में जमा कर दिया जाता है और पंप ऑपरेटर के वेतन का भुगतान करने और अन्य कामों के लिए उपयोग किया जाता है.

Tags: Clean water, Drinking Water, Madhya pradesh news

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