कमलनाथ (फाइल फोटो).
मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार का गठन होने के साथ होते ही किसानों की कर्जमाफी का ऐलान कर दिया. मुख्यमंत्री कमलनाथ की कर्जमाफी से जहां प्रदेश के किसानों में खुशी की लहर है वहीं डिंडौरी जिले के किसान कर्जमाफी की कुछ शर्तों का विरोध कर रहे हैं.
सरकार ने शपथ के चंद घंटों में ही कर्ज माफी का ऐलान कर दिया, जिसके बाद प्रदेश के किसानों के लिए यह संजीवनी बन गई है. सरकार की इस कर्जमाफी का मंडला जिले के किसानों में इसकी बिल्कुल खुशी नहीं है. किसानों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने कर्जमाफी के लिए जो शर्ते रखी हैं उनके तहत किसानों का कर्ज पूरी तरह से माफ नहीं होगा. किसानों का कहना है कि सीएम ने शर्तों का सियासी वादा पूरा किया है.
मंडला के किसानों के मन में संशय है कि सरकार ने 31 मार्च 2018 के पहले कर्ज माफ करने की बात कही है, लिहाजा जिन लोगों ने ईमानदारी से कर्ज जमा करवाया है और फिर नया कर्ज बैंको या समितियों से लिया है उसके संबंध में कोई जानकारी नहीं है, जिससे किसानों में विरोधाभाष दिखाई दे रहा है. किसानों का मानना है कि 31 मार्च 2018 के बाद के कर्ज भी सरकार को माफ करना चाहिए.
किसानों को जहां कर्जमाफी की आस है वहीं प्रशासनिक स्तर से ही कर्ज माफी की तैयारियां शुरू हो गई है. लीड बैंक से राष्ट्रीयकृत और सहकारी बैंकों के ऋण और किसानों की जानकारी एकत्र करने के निर्देश हैं. जिला सहकारी बैंक को भी अपेक्स से किसानों की जानकारी के निर्देश मिल गए हैं. मंडला जिले में 2 लाख 13 हजार 564 किसान है, जिनमे से एक लाख 16 हजार लधु किसान है, जिले के 93 हजार 851 किसान के किसान ने क्रडिट कार्ड से कर्ज लिया है जो 157.61 करोड़ का कर्ज है.
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