जनजातियों के प्रमुख खाद्य कोदों-भात, चकौड़ा और चैंच भाजी का स्वाद कलेक्टर ने लिया
रिपोर्ट : तिवारी मंडला
मंडला. बिछिया विकासखंड के अंतर्गत वनग्राम भानपुर खेड़ा के स्कूल में बैगा जनजाति ने करमा महोत्सव का आयोजन किया. इस मौके पर बैगाओं ने पारंपरिक और प्रमुख लोकनृत्य की भव्य प्रस्तुति दी. इस कार्यक्रम में कलेक्टर हर्षिका सिंह भी शामिल हुईं. उन्होंने करमा महोत्सव में शामिल होकर जनजातियों के प्रमुख खाद्य कोदो-भात, चकौड़ा और चैंच भाजी का स्वाद लिया. कलेक्टर ने करमा महोत्सव में कहा कि मैं सौभाग्यशाली हूं कि मुझे बैगा समुदाय के साथ काम करने का मौका मिला. बैगा जनजाति प्रकृति प्रेमी, सुंदर और निश्छल होती है. इनसे सीखने के अवसर प्राप्त होते हैं. बैगा जनजाति को देखकर लगता है कि मानवता आज भी जीवित है. उन्होंने बैगा जनजाति को हैबिटेट राइट्स की जानकारी दी. साथ ही अधिकारों के कारण जनजाति जीवन में आने वाले बदलाव के बारे में बताया.
कलेक्टर हर्षिका सिंह ने करमा महोत्सव के दौरान अपने संबोधन में बताया कि विश्व प्रसिद्ध कान्हा नेशनल पार्क के मोचा गेट पर बैगा कल्चरल हब बनेगा. प्रदेश सरकार द्वारा इसके लिए 5 करोड़ की स्वीकृति दी गई है. यह सेंटर जनजातीय संस्कृति को संरक्षित करेगा, साथ ही बैगा जनजाति के जीवन के विभिन्न पहलुओं की जानकारी देश और दुनिया को देगा. उन्होंने बैगा जनजाति के बारे में कहा कि कोरोना काल के दौरान वैक्सिनेशन के समय बैगा समुदाय ने अन्य लोगों के लिए भी उदाहरण रखा. कलेक्टर ने बताया कि बैगा बसाहटों का सर्वे कराया जा रहा है. उन्होंने संबंधित अधिकारियों को पात्र हितग्राहियों की पहचान कर लाभ दिलाने का निर्देश दिया.
उक्त आयोजन में बैगा समाज के पारंपरिक नृत्य और गीत सहित अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए. इन सांस्कृतिक कार्यक्रम में बैगा समाज के लोग अपने पारंपरिक परिधान और प्राकृतिक शृंगार में नजर आए. करमा महोत्सव में मंडला के अतिरिक्त बालाघाट, डिंडौरी और अनूपपुर जिले के बैगा नर्तक दलों ने सहभागिता की.
बैगा जनजाति के पारंपरिक नृत्य में मंडला जिले की कलेक्टर हर्षिका सिंह ने अपनी सहभागिता दर्ज कराई और सभी उपस्थित बैगा समाज के लोगों का उत्साहवर्धन किया.
कार्यक्रम में आए आगंतुकों के लिए पूर्ण रूप से प्राकृतिक तरीके से पेज भाजी, कोदो कुटकी जैसे पकवान बनाए गए जिसका लुत्फ सभी ने लिया. कलेक्टर हर्षिका सिंह ने बैगा जनजाति द्वारा बनाए जाने वाले प्राकृतिक भोजन ग्रहण किए और इस भोजन में चकौड़ा भाजी, कोदो भात, बेचांदी आदि शामिल था. भोजन ग्रहण करने के पश्चात उन्होंने इस भोजन की काफी तारीफ की.
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Tags: Mandla news, Mp news, Tribal Culture
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