बगैर सरकारी सहायता के श्रमदान करके सड़क बनाने में जुटीं कोको गांव की महिलाएं
मंडला. जिले के कोको ग्राम पंचायत के घुरवारा गांव के लोगों की जब प्रशासन (Administration) ने सड़क बनाने की गुहार नहीं सुनी तो सबने मिलकर खुद ही सड़क(Road) बनाने का बीड़ा उठा लिया. ग्रामीणों (villagers) ने अपने बूते सड़क बनाने के लिए कुदाल-फावड़ा उठाया और दो किलोमीटर लंबी (two kilometer) सड़क बना डाली. माउंटेन मैन के नाम से मशहूर बिहार के दशरथ मांझी (Dashrath Manjhi) ने अकेले ही पहाड़ का सीना चीरकर सड़क बना दी थी, जो लोगों के लिए आज भी मिसाल है. मंडला जिले के कोको ग्राम पंचायत के घुरवारा गांव के लोगों की कहानी भी दशरथ मांझी की कहानी से कमतर नहीं है.
जब किसी ने नहीं सुनी गुहार तो महिला-पुरुष सभी ने उठा लिया फावड़ा
घुरवारा गांव तक सड़क बनाने के लिए यहां का हर व्यक्ति 'मांझी' बनने के लिए तैयार हो गया और खुद फावड़ा, तगाड़ी और छेनी उठाकर सड़क बनाने के लिए निकल पड़ा. यह गांव कई वर्षों से सड़क की बाट जोह रहा था. इस सड़क के बनने से लोगों को अब न बारिश की मार झेलनी पड़ेगी और न ही नदी, नाले पार कर कीचड़ में चलना पड़ेगा.
5 किलोमीटर नहीं अब 1 किलोमीटर चलकर ही पहुंच जाएंगे ग्राम पंचायत
इसके साथ ही गांव वाले अब 5 किलोमीटर की जगह 1 किलोमीटर चलकर ही अपनी ग्राम पंचायत पहुंच जाएंगे. दरअसल 500 की आबादी वाले घुरवारा के लोगों को सड़क नहीं होने की वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. गर्मी हो या फिर बरसात गांव तक कोई भी गाड़ी नहीं जाती थी. इस वजह से बीमार और गर्भवती महिलाओं को बहुत परेशानी होती थी.
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