मध्य प्रदेश में 6 जून को मंदसौर गोलीकांड में हुई छह किसानों की मौत के मामले में नया मोड़ आ गया है. मामले की जांच कर रहे जस्टिस जे.के. जैन के सामने गोली चलाने वाले सीआरपीएफ जवानों के बयान दर्ज हुए जिसमें जवानों ने कहा कि उन्होने किसी के आदेश पर गोली नहीं चलाई थी बल्कि किसान उनसे बंदूक छीन रहे थे और इसी छीना-झपटी में गोली चल गई, जबकि घटना के बाद आईजी लॉ एंड आर्डर मकरंद देउस्कर ने कहा था कि फोर्स ने ही प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं थी.
मंदसौर में 6 जून को हुई किसानों पर गोलीबारी के मामले की जांच कर रहे जस्टिस जे.के. जैन के सामने जवानों ने अपने बयानों में कहा कि उन्होंने किसी के कहने पर गोली नहीं चलाई थी बल्कि गोली अपने आप चल गई. प्रदर्शन कर रही भीड़ ने फोर्स पर बोतलें और पत्थर चलाए और सीआरपीएफ के दो जवानों को नीचे गिरा कर उनके साथ मारपीट कर रहे थे प्रदर्शनकारियों ने उनकी बंदूक छीन रहे थे इसी छीना झपटी में गोली चल गई.
वहीं सरकार की ओर से पैरवी कर रहे एडवोकेट अविनाश सिरपुरकर का कहना है कि भीड़ ने सीआरपीएफ जवानों के साथ मारपीट की गई थी, वर्दी फाड़ दी गई थी जवानों पर पेट्रोल बम से भी हमला किया गया था जिसमें उनकी वर्दी और जूता जल गया था और गन छीनने के दौरान गोली चल गई.
बहरहाल, किसान के आंदोलन के दौरान एमपी पुलिस के 10 और सीआरपीएफ के 25 जवानों का फोर्स स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पहुंचा था, जिसे अलग-अलग जगह तैनात किया था क्योंकि किसान अलग-अलग आंदोलन कर रहे थे, लेकिन गोली किसके आदेश पर और कैसे चली ये अभी भी प्रश्न बना हुआ है जबकि घटना के बाद प्रदेश के आईजी लॉ एंड ऑर्डर मकरंद देउस्कर ने कहा कि प्रदर्शनकारियों पर फोर्स ने गोली चलाई थी. आयोग के सामने अभी तक तत्कालीन कलेक्टर, एसपी, सीएसपी के भी बयान हो चुके हैं. आयोग को 11 अप्रैल तक जांच रिपोर्ट देनी है.
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FIRST PUBLISHED : March 26, 2018, 16:59 IST