रिपोर्ट – आकाश गौर
मुरैना. जिला प्रशासन गजक की ब्रांडिंग के लिए दुबई में होने वाले फूड फेस्टिवल की तैयारी में हैं. हालांकि अभी इसकी डेट तय नहीं हुई है, लेकिन प्रशासन ने तय कर लिया है कि तारीख तय होते ही मुरैना के गजक व्यापारियों की बैठक बुलाकर उनके साथ प्लानिंग की जाएगी. असल में, हाल ही दिल्ली के प्रगति मैदान पर फूड फेस्टिवल में मुरैना की गजक को इटली, दुबई, इंग्लैंड सहित अन्य देशों के डेलीगेशन ने काफी पसंद किया. मुरैना की गजक को किस तरह एक्सपोर्ट किया जाए? एनआरआइयों ने इस पर भी चर्चा की.
भारत सरकार ने दिल्ली में आहार इंटरनेशनल फूड फेस्टिवल एंड फेयर लगाया था, जिसमें एशिया भर के फूड प्रोडक्ट की बेस्ट जानकारी शामिल की गई थी. यहां विदेशियों ने मुरैना की गजक का स्वाद चखा और उसके बाद से इसकी ब्रांडिंग को लेकर कवायद शुरू हुई. व्यापरियों के अनुसार देश के महानगरों के अलावा विदेशों तक मुरैना की गजक जाती ही है, लेकिन ब्रांडिंग से इस व्यापार में इजाफा होगा.
गजक बनाने के लिए देसी शुद्ध और साफ तिल चाहिए. सबसे पहले घी में साफ तिल को धीमी आंच पर भूना जाता है. तिल जलना नहीं चाहिए. साफ पानी से से गुड़ की चाशनी तैयार की जाती है. 20 मिनट बाद चाशनी को बड़ी प्लेट में ठंडा किया जाता है. लेयर बनाई जाती है और उसे दीवार पर टांगकर लकड़ी के सहारे खींचा जाता है. तब तक खींचते हैं जब तक चाशनी का रंग पूरी तरह सफेद न हो जाए. इससे गजक खस्ता बनती है.
अब इस चाशनी में तिल मिलाते हैं. उसके बाद उसकी जमकर पिटाई करते हैं. इसमें लगभग 15 मिनट लगते हैं. अच्छी तरह मिलने के बाद उसे किसी बड़ी पत्थर के पाट पर रखकर साइज के हिसाब से गजक को काटा जाता है.
इसकी तासीर चंबल के पानी के कारण अलग बताई जाती है. गजक तो देश और प्रदेश में कई जगह बनाई जाती है और मुरैना गजक के नाम से ही कई जगह बेची जाती है, लेकिन यहां के पानी में जो मिठास है, उससे यहां की ओरिजनल गजक का स्वाद अलग ही होता है.
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