पुल के बीच में बनीं ये मेहराबें करती हैं लोगों को अपनी ओर आकर्षित
रिपोर्ट: आकाश गौर
मुरैना: यहां का एक पुल मुगलकाल में बना था और आज भी यह पुल वहां से गुजरने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र है. प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर इस पुल से जो भी गुजरता है, वहां रुके बिना आगे नहीं बढ़ता. मुरैना मुख्यालय से 13 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग पर बना नूराबाद पुल है. सुंदरता के कारण यह पुल एनएच 44 पर चल रहे यात्रियों का ध्यान आकर्षित कर लेता है.
नूराबाद पुल पर बनी शानदार मेहराबें देख राहगीर अपनी गाड़ियां रोक लेते हैं और इनमें बैठकर पुल और सांक नदी के प्राकृतिक सौंदर्य का दीदार करते हैं. मध्य प्रदेश पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित मुगलकालीन इस पुल की देश भर में एक अलग पहचान है. इसका निर्माण नूराबाद स्थित सांक नदी पर मुगल बादशाह जहांगीर ने 16वीं शताब्दी में पत्नी नूरजहां के नाम पर करवाया था.
सिरोहा का नाम बदल नूराबाद किया
पहले इस गांव का नाम सिरोहा हुआ करता था, क्योंकि यहां मुसाफिरों के रुकने के लिए राजा ने सराय बनवाई थी, लेकिन जहांगीर और नूरजहां के समय में इसका नाम नूराबाद रखा गया था. जहांगीर ने इस गांव के पास सांक नदी पर पुल का निर्माण करवाया था, जिसमें सात मेहराबें बनवाई गई थीं.
ऐसा है मेहराबों का आकार
इन मेहराबों की लंबाई 6 मीटर और चौड़ाई 5 मीटर है. पुल के दोनों तरफ दीवारें बनाई गई हैं. इन पर दो अष्टकोणीय गुंबद नुमा क्षत्रियां निर्मित हैं. दूसरी तरफ अष्टकोणीय मीनारें बनाई गई थीं. करीब 500 से अधिक साल बीत जाने के बाद भी यह पुल मजबूती से खड़ा हुआ है. पर्यटकों को यह स्थल बहुत भाता है. कुछ समय पहले पर्यटन विकास निगम ने यहां टूरिस्ट हट बनाने का प्रयास किया था.
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