कांग्रेस के अंदरखाने मची उठापटक, टिकट के लिए 'दिग्गजों' में टकराव!
कांग्रेस के अंदरखाने मची उठापटक, टिकट के लिए 'दिग्गजों' में टकराव!
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कुछ न्यूज चैनलों के सर्वे के बाद कांग्रेस को यह पक्का लग रहा है कि प्रदेश में उसकी सरकार बन रही है. यह भी खबर है कि अब अंदर खाने में सीएम के पद को लेकर भी लड़ाई तेज हो गई है.
मध्य प्रदेश में विधान सभा चुनाव का टिकट हासिल करने के लिए दिल्ली में मजमा लगा है. रोज नई खबरें राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा रही हैं. टिकट को लेकर कांग्रेस में घमासान जारी है, क्योंकि कुछ सर्वे सामने आने के बाद कांग्रेसियों को यह पक्का लग रहा है कि प्रदेश में उसकी सरकार बन रही हैं. यह भी खबर है कि अब अंदर खाने में सीएम के पद को लेकर भी लड़ाई तेज हो गई है.
जानकारों की मानें तो दिल्ली में कमलनाथ, दिग्विजय सिंह ओर मीनाक्षी नटराजन में खास तालमेल बैठ गया है, जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया अभी भी अपने दम पर टिकटों की लड़ाई लड़ रहे हैं. तीनों बड़े नेताओं का ज़ोर मालवा की 48 सीटों पर ज्योतिरादित्य सिंधिया को टिकिट लेने से रोकना है. चूंकि मालवा पूर्व में सिंधिया रियासत का हिस्सा रहा है और इस इलाके में सिंधिया का एकाधिकार माना जाता है.
वहीं मालवा के इस हिस्से में कांग्रेस खुद को ताकतवर मानती है जिसके चलते हो सकता है कांग्रेस नेता आपस में पैक्ट करके अपने ज्यादा विधायक लाना चाहते हों, ताकि जब कांग्रेस की सरकार बने तो सिंधिया को सीएम बनने से रोका जा सके, लेकिन मालवा के पिपलियामंडी ओर ग्वालियर चम्बल इलाके में राहुल गांधी की सभाओं में जो जनसैलाब उमड़ा है, उससे सिंधिया के निश्चित तौर पर नम्बर बढ़े हैं और इनके इस बढ़ते कद के चलते भी कांग्रेस में घमासान संभव है.
सिंधिया की इस बढ़ती ताकत को देखते हुए लगता है कि मीनाक्षी नटराजन ने दो पाटीदार नेताओं सतनारायण पाटीदार जावद और त्रिलोक पाटीदार गरोठ के सिर पर हाथ रखा है, ताकि पाटीदार नेता हार्दिक पटेल की मदद से इनको टिकट दिलवाया जा सके
कांग्रेस नेता सत्यनारायण पाटीदार ने तो चार माह पहले जावद विधानसभा क्षेत्र में किसान सम्मलेन का आयोजन कर हार्दिक पटेल को बुलाया था. गुजरात की तरह हार्दिक ने मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस की मदद करने की ठानी है. वे कहते हैं कि चुनाव में ताकत से घूमूंगा ओर किसानों के हक की आवाज उठाऊंगा. हार्दिक पटेल के अलावा देश के बड़े दलित नेता गोपाल डेनवाल ने भी मालवा में अपना पांव फसा रखा है.
राजस्थान के दलित नेता डेनवाल का मालवा में खासा आधार बताया जाता है और संभावना ये बताई जा रही है कि बसपा गठबंधन टूटने के बाद कांग्रेस एमपी और राजस्थान में डेनवाल को अपने साथ मिला लेगी
इसको लेकर दलित नेता डेनवाल की कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ओर गुलाम नबी आजाद के साथ बैठकें भी हो चुकी हैं. यदि दलित नेता डेनवाल का कांग्रेस से तालमेल बैठा तो वे भी मालवा में टिकट की मांग कर सकते हैं. कुल मिलाकर जो हालात बने हैं उसमें कांग्रेस अक्टूबर के पहले पखवाड़े में टिकट का ऐलान कर पाए इसकी संभावना कम लगती हैं.