मौसम की बेरुखी ने मध्य प्रदेश के कई जिले में सूखे जैसे हालात पैदा कर दिए हैं.
में अब तक औसत वर्षा भी नहीं हो पाई है. ऐसे में जिले के ज्यादातर जलाशय भर ही नहीं पाए है. किसानों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय सूखे की आहट है. नीमच जिला प्रशासन भी इस बात को लेकर चिंता में पड़ा हुआ है कि अगर अब बरसात के दिनों में भी बारिश नहीं हो पाई तो वर्तमान की सोयाबीन की फसल के उत्पादन पर तो इसका भारी असर पड़ेगा ही, आने वाली रबी की फसल के लिए पानी ही नहीं मिल पाएगा.
जिले के छोटे मोटे करीब 33 जलाशयों में से मात्र दो ही अब तक भर पाए हैं. क्योकि अब तक जिले में पिछले पांच वर्षो के मुकाबले औसत बारिश तक नहीं हुई है. जिले की औसत वर्षा 33 इंच है जबकि अब तक 27 इंच बारिश ही हो पाई है. जिले की जावद तहसील में सबसे कम बारिश हुई है. जो और भी ज्यादा चिंता का विषय है.
किसानों का कहना है की कम बारिश ने उनकी वर्तमान की सोयाबीन की फसल के उत्पादन पर असर डाल ही दिया है वहीं अगर अब बारिश नहीं हुई तो आने वाली फसलें हम ले नहीं पाएंगे. साथ ही जलसंसाधन विभाग के अधिकारी भी इस बात को लेकर काफी चिंतित हैं. उनका कहना है कि अगर बारिश नहीं हुई तो सूखे की स्थिति निर्मित हो सकती है.
में भी बारिश न होने से सूखे की आहट किसानो की चिंता का विषय बन गया है इस बार छतरपुर में मानसून देरी से आया और आने के बाद बारिश के कम होने से अभी भी सूखे के हालात बने हुए हैं.
शहर के नदी-तालाब-कुए सभी खाली पड़े हुए हैं. ऐसे में किसानो को फिर सूखे के चलते आर्थिक तंगी से जूझना पड़ सकता है और यही डर किसानो को सता रहा है.
इस साल अब तक जिले में 22 इंच औषत बारिश दर्ज हुई है. पिछले साल जिले में बारिश औसतन 53.0 इंच दर्ज की गई थी जो की आधे से भी कम है. ऐसे में अब किसान जिले को सूखा घोषित मांग करने लगे हैं.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
FIRST PUBLISHED : September 09, 2017, 14:57 IST