को खास बनाने की तैयारी करता है. ये सिलसिला पिछले 51 सालों से चला आ रहा है.
, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले का दहन किया जा रहा है. खास बात ये है कि इस हिंदू त्योहार पर इन पुतलों को एक मुस्लिम परिवार तैयार कर रहा है. ये परिवार पिछले 51 सालों से ये काम करता आ रहा है.
इंद्रानगर निवास हुसैन बा ने ये काम शुरू किया था. उनके गुजर जाने के बाद इस काम की कमान उनके बेटे ने संभाली और अब परिवार की चौथी पीढ़ी भी इस परंपरा से जुड़ गई है.
मजहर हुसैन की मानें तो उनके संयुक्त परिवार में 25 सदस्य हैं और सभी मिलकर रावण के पुतले बनाने का काम करते हैं. ये काम एक पीढ़ी दूसरी पीढ़ी को सिखाती है. इस सिलसिले को जारी रखते हुए इस बार परिवार के बच्चे भी आतंकवाद और रावण के पुतले बनाने में मदद कर रहे हैं, ताकि वो भी इसे सीख सकें.
जीएसटी लागू होने का असर कई चीजों के साथ इस बार के रावण दहन और रामलीला के आयोजन पर भी पड़ रहा है. जीएसटी के चक्कर में रावण दहन कार्यक्रम के आयोजकों का बजट गड़बड़ा गया है. वहीं, रावण बनाने वाले कारीगरों ने भी अपनी कीमतें बढ़ा दी है.
जीएसटी की मार से रावण दहन के कार्यक्रम पर पड़ने वाले मध्य प्रदेश का नीमच शहर भी अछूता नहीं है. यहां दशहरे पर रावण दहन जीएसटी लागू होने के चलते महंगा होने जा रहा है. जिसे लेकर रावण दहन करने वाली संस्थाओ को अपना बजट बढ़ाना पड़ रहा है.
आयोजनकर्ताओं ने पिछले बार, रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ सहित आतंकवाद और समसामयिक मुद्दों पर पुतलों का निर्माण किया था. इस बार बजट में कटौती करते हुए केवल रावण सहित केवल तीन पुतले ही बनाए जा रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : September 29, 2017, 19:39 IST