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गौ प्रेमी ने विधि-विधान से कराया 'गौरी' का अंतिम संस्कार, 4 दिन रखा शोक; 1100 ब्राह्मणों को दिया भोज

Neemuch News: नीमच में प्रिय गाय 'गौरी' की मृत्यु पर गुर्जर परिवार ने 4 दिन का शोक रखा और ब्राह्मणों को भोज दिया...

Neemuch News: नीमच में प्रिय गाय 'गौरी' की मृत्यु पर गुर्जर परिवार ने 4 दिन का शोक रखा और ब्राह्मणों को भोज दिया...

Neemuch Latest News: मध्यप्रदेश के नीमच जिले के भादवा माता गांव में एक गौ प्रेमी ने समाज के लिए अनोखी मिसाल पेश की. गुर ...अधिक पढ़ें

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हाइलाइट्स

नीमच में गाय की मृत्यु पर गुर्जर परिवार ने पेश की अनोखी मिसाल
4 दिन का शोक रखा और 1100 ब्राह्मणों को भोज दिया

नीमच. जिले के भादवा माता गांव में किसान नरेश गुर्जर का गौमाता प्रेम चर्चा का विषय बना हुआ है.  नरेश की गाय की मौत होने पर परिवार ने चार दिन तक शोक मनाया. गाय का विधि-विधान से अंतिम संस्कार करने के बाद पूजा पाठ भी कराई गई. यही नहीं किसी मानव के निधन पर दिए जाने वाले मृत्युभोज की तरह गुर्जर परिवार ने 1100 ब्राह्मणों को भोजन भी कराया गया.

वर्तमान समय में गाय को सिर्फ दूध देने तक ही सेवा करते हैं, उसके बाद गोशाला या खुले में छोड़ देते हैं, लेकिन भादवा माता के किसान ने अपनी गाय गौरी को हमेशा परिवार के सदस्य की तरह माना. जीवित रहते तो उसकी खूब सेवा की ही, मृत्यु के बाद भी उसके मोक्ष की कामना के लिए अंतिम संस्कार और मृत्युभोज दिया.

14 साल पहले बछिया को लाए थे घर
जानकारी के मुताबिक नरेश गुर्जर ने 2008 में गाय की छोटी बछिया को खरीदा था. घरवालों ने प्यार से ‘गौरी’ नाम  दिया. 14 सालों में गौरी गुर्जर परिवार के सदस्य की तरह ही रही. पूरा परिवार उसकी सेवा करता था. उम्र ज्यादा होने और बीमारी के कारण पिछले दिनों गौरी की मौत हो गई. वह पल परिवार के लिए बड़े दुख से कम नहीं था. गुर्जर परिवार ने तय किया कि गौरी का अंतिम संस्कार पूरे विधि-विधान से किया जाएगा. गौरी को दफनाने के दौरान भी पूजा की गई. ब्राह्मणों से पूजा पाठ करवाया गया.

…ताकि लोग गायों से प्रेम करें
गाय के प्रति ऐसा स्नेह दिखाने वाले नरेश गुर्जर से इसकी वजह पूछी गई तो उन्होंने बताया कि आमतौर पर लोग गाय को एक पशु मानकर जब तक वह लाभ देती है, उसका उपयोग करते हैं लेकिन मैं यह संदेश देना चाहता हूं कि गौमाता हमारी संस्कृति का एक हिस्सा है. हमारी माता स्वरूप गाय को सड़कों पर खुला नहीं छोड़ा जाए. लोग उनका सम्मान करें और ज्यादा से ज्यादा लोग गौसेवा से जुड़े और गायों के प्रति प्यार रखें.

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