अफीम उत्पादक (Poppy Growers) मालवांचल का किसान इस समय गुस्से में है ओर आज इसका नजारा नीमच की सड़कों पर दिखा. बड़ी संख्या में जिले के किसान नई अफीम नीति (New Opium Policy) के विरोध में सड़कों पर उतरे और नारकोटिक्स विभाग (Narcotics Department) का घेराव किया. किसानों का कहना है कि नई नीति किसान विरोधी है. मार्फिन आधारित इस नीति को हटा कर औसत के मान से ही पट्टे देने चाहिए. इसके अलावा रकबे में भी की गई कमी को सरकार वापस ले. यदि तीन दिन में अफीम नीति में बदलाव नहीं किया गया तो सांसद के घर का घेराव करेंगे और यह तब तक जारी रहेगा जब तक अफीम किसानों की मांगे नहीं मान ली जाती हैं. इस वक्त एमपी के मालवा (Malwa) और राजस्थान के मेवाड़ के हालात एक जैसे हैं.
इस बार नई नीति में केंद्र सरकार ने कहा कि मार्फिन पर्सेंटेज के आधार पर अफीम के पट्टे नारकोटिक्स विभाग जारी करेगा वो भी 6, 10 ओर 12 आरी के, लिहाजा इसको लेकर किसान खफा हैं. ख़ास बात यह है कि फसल सत्र 2018 -19 में 34 हज़ार 521 किसानों ने अफीम की काश्त की थी और 4 हज़ार हेक्टेयर में अफीम उगाई गयी थी. जबकि फसल सत्र 2019-20 में 33 हज़ार 287 किसानों को एमपी में पत्ते ज़रूर मिले, लेकिन कुल रकबा घटकर 4 हज़ार से 2 हज़ार रह गया जिससे किसानों में भारी नाराज़गी है.
मालवा में अफीम किसानों की लड़ाई लड़ रहे किसान नेता अमृतराम पाटीदार का कहना है कि हमारी साफ मांग है. मार्फिन आधारित पट्टे न देते हुए औसत के मान से पट्टे दिए जाएं. इसके साथ ही अफीम का रकबा भी बढ़ाया जाए, जिसे लेकर हमने ज्ञापन दिया है. अगर बात नहीं सुनी गई तो सरकार किसानों के उग्र आंदोलन के लिए तैयार रहे. हम तीन दिन इंतज़ार करेंगे. उसके बाद सांसद सुधीर गुप्ता के घर का घेराव करेंगे और तब तक उन्हें घर से बाहर नहीं निकलने देंगे जब तक अफीम किसानों की मांगे नहीं मान ली जाती हैं.
कांग्रेस नेता सतयनारायण पाटीदार कहते हैं कि जब सरकार ठोस आधार पर अफीम की सरकारी खरीद करती है तो फिर मानक लिक्विड आधार पर क्यों तय किये जाएं. जबकि भाजपा इस पूरे मामले में बैकफुट पर है. भाजपा विधायक ओम प्रकाश सखलेचा अफीम किसानों का पक्ष लेते हुए कहते हैं कि हमने दिल्ली में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर से मुलाकात कर कहा है कि सरकार नीति में बदलाव करे और औसत आधार पर पत्ते जारी करे. उसके बाद मॉर्फिन पर्सेंटेज निकालने के लिए किसानों को ट्रेनिंग दी जाए.
गौरतलब है कि एमपी और राजस्थान में आगामी दिनों में पंचायत, जिला पंचायत और मंडियों के चुनाव होने हैं, ऐसे में भाजपा को साफ़ दिख रहा है कि अफीम नीति में बदलाव नहीं किया गया तो किसान पार्टी का साथ छोड़ देंगे. जबकि नारकोटिक्स विभाग के उपायुक्त प्रमोद सिंह का कहना था कि अभी वे इस मामले में कुछ भी नहीं कह सकते है. वे सिर्फ किसानों की बात को ऊपर तक पंहुचा देंगे.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
FIRST PUBLISHED : November 05, 2019, 20:54 IST