देश के पहले उपप्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की 142वीं जयंती है. जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्रित्व काल में ही गृहमंत्री सरदार पटेल ने सीआरपीएफ को अंग्रेजी नाम से मुक्ति दिलाई थी.
दरसअल, सीआरपीएफ को ब्रिटिश काल में 27 जुलाई, 1939 में सीआरपी यानी क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस के नाम से बनाया गया था, लेकिन आजादी के दो साल बाद 1949 में देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल इस पुलिस फोर्स का नाम बदल दिया.
पटेल ने सेवाओं को कायम रखते हुए इसका नाम बदलकर सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स कर दिया था. पटेल ने ब्रिटिशों की पहचान से मुक्ति दिलाने यह कदम उठाया था.
आपको बता दें कि मध्यप्रदेश के नीमच में ब्रिटिश राज के दौरान उत्तर भारत का सैन्य घुड़सवार सेना मुख्यालय बनाया गया था. सन् 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश पुलिस को खदेड़ते हुए इस सैन्य छावनी पर कब्जा कर लिया था. जिसके बाद क्रांतिकारियों ने भी इस छावनी को अपने आंदोलन के लिए हेडक्वार्टर बना लिया.
बताया जाता है कि छावनी पर कब्जा करने के कुछ ही समय बाद ब्रिटिश सेना ने सभी क्रांतिकारियों को या तो मार दिया था या फिर उन्हें पकड़ कर अगले दिन फांसी पर लटका दिया था.
नीमच को आज हम जिस नाम से जानते हैं वो नाम अंग्रेजों की ही देन है. उत्तर भारत की महत्वपूर्ण सैन्य छावनी होने के कारण अंग्रेज़ों ने इसे NIMACH यानी नॉर्थ इंडिया मिलिटरी एंड केवल्री हेडक्वाटर्स नाम दिया था. स्वतंत्रता पाने के बाद भारत सरकार ने इस नाम में स्पेलिंग को छोड़ कोई बदलाव नहीं किया.
सीआरपीएफ जवानों के लिए नीमच एक विशेष महत्व रखता है. ये जवान इस जिले को अपने लिए किसी धर्मस्थल से कम नहीं मानते. जवानों का मानना है कि एक ना एक बार तो सभी जवानों को सेना के इस मंदिर में माथा टेकने आना ही पड़ता है. सीआरपीएफ का तो जन्मस्थान ही नीमच है इसलिए इस पुलिस फोर्स का पूरा फोकस यहां ही होता है.
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FIRST PUBLISHED : October 31, 2017, 12:32 IST