मिशन चंद्रयान-2 पर रतलाम के इस परिवार की भी टिकी थीं निगाहें, जानिए क्यों?

हिमांशु शुक्ला
29 साल का यह युवा साइंटिस्ट, मिशन चंद्रयान कि बूस्टर बनाने वाली टीम में है.जो दिन रात इस मिशन में जी जान से जुटा रहा
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated: July 22, 2019, 2:49 PM IST
देश की ऐतिहासिक उपलब्धि, मिशन चंद्रयान-2 में मध्य प्रदेश की भी भागीदारी है. रतलाम का एक युवा साइंटिस्ट हिमांशु शुक्ला और कटनी की मेघा भट्ट देश के उन चुनिंदा और होनहार साइंटिस्ट में शामिल हैं, जिन्हें इसरो ने अपने इस महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 के लिए चुना था.
शुक्ला परिवार का गर्व
रतलाम के शुक्ला परिवार के लिए एक-एक पल उत्सुकता औऱ बेचैनी से भरा रहा. इसरो के मिशन चंद्रयान-2 ने उनकी भी धड़कन बढ़ा रखी थी. पूरे देश की तरह उनकी भी नज़र इसरो के इस प्रोजेक्ट पर लगी थीं. लेकिन उनकी उत्सुकता और धुक-धुकी की वजह इस मिशन में उनके बेटे का शामिल होना है. बेटा हिमांशु शुक्ला इसरो के इस प्रोजेक्ट में बतौर साइंटिस्ट शामिल था.
हिमांशु पर नज़रहिमांशु 2013 से ही इसरो में सांइटिस्ट के पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. 29 साल का यह युवा साइंटिस्ट, मिशन चंद्रयान कि बूस्टर बनाने वाली टीम में है.जो दिन रात इस मिशन में जी जान से जुटा रहा. यहां तक कि कई दिन से हिमांशु ने अपने परिवार से भी फोन पर बात नहीं की है. हिमांशु ने उज्जैन के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज से केमिकल इंजीनियरिंग में बीई की और 2013 में उनका इसरो में साइंटिस्ट के लिए में सिलेक्शन हो गया.
पूरे देश-दुनिया की तरह हिमांशु का पूरा परिवार भी टीवी पर टकटकी लगाए बैठा रहा. हिमांशु के पिता पेशे से वकील है और मां गृहणी हैं.
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शुक्ला परिवार का गर्व
रतलाम के शुक्ला परिवार के लिए एक-एक पल उत्सुकता औऱ बेचैनी से भरा रहा. इसरो के मिशन चंद्रयान-2 ने उनकी भी धड़कन बढ़ा रखी थी. पूरे देश की तरह उनकी भी नज़र इसरो के इस प्रोजेक्ट पर लगी थीं. लेकिन उनकी उत्सुकता और धुक-धुकी की वजह इस मिशन में उनके बेटे का शामिल होना है. बेटा हिमांशु शुक्ला इसरो के इस प्रोजेक्ट में बतौर साइंटिस्ट शामिल था.

हिमांशु पर नज़रहिमांशु 2013 से ही इसरो में सांइटिस्ट के पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. 29 साल का यह युवा साइंटिस्ट, मिशन चंद्रयान कि बूस्टर बनाने वाली टीम में है.जो दिन रात इस मिशन में जी जान से जुटा रहा. यहां तक कि कई दिन से हिमांशु ने अपने परिवार से भी फोन पर बात नहीं की है. हिमांशु ने उज्जैन के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज से केमिकल इंजीनियरिंग में बीई की और 2013 में उनका इसरो में साइंटिस्ट के लिए में सिलेक्शन हो गया.

पूरे देश-दुनिया की तरह हिमांशु का पूरा परिवार भी टीवी पर टकटकी लगाए बैठा रहा. हिमांशु के पिता पेशे से वकील है और मां गृहणी हैं.
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