रिपोर्ट: जयदीप गुर्जर
रतलाम. मध्य प्रदेश के रतलाम शहर में बेतरतीब यातायात व्यवस्था के बीच बंद पड़े नये सिग्नल शोपीस बनकर रह गए हैं. शहर में सिग्नल तो लग, लेकिन इन सिग्नल की टेस्टिंग नहीं हो पाई है. इसका कारण है एमपीईबी और नगर निगम का तालमेल नहीं होना है. हमेशा से दोनों विभागों की आपसी अनबन आम जनता के लिए परेशानी खड़ी करती आयी है. चाहे वो नई सड़क से बिजली के खम्भे हटाने का काम ही क्यों ना हो. रतलाम में करीब 60 लाख की लागत से ट्रैफिक सिग्नल लग चुके हैं. जबकि भोपाल की सेनसेक्यूर इंटेग्रेटेड सॉल्यूशन कंपनी ने शहर में सिग्नल लगाए हैं. वहीं, इसकी मॉनिटरिंग नगर निगम के प्रकाश विभाग के जिम्मे है. शहर के सैलाना बस स्टैंड, दो बत्ती और लोकेंद्र टॉकीज चौराहों पर सिग्नल लगाये गए हैं. सिग्नल लगाए हुए 2 माह बीत चुके हैं, लेकिन अब तक चालू नहीं हो पाए.
नगर निगम इंजीनियर हनीफ शेख ने बताया कि सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं. सिग्नल चलाने के लिए एमपीईबी से बिजली मीटर की मांग की है, लेकिन 1 माह हो चुका है अब तक उनके द्वारा कोई कार्रवाई आगे नहीं बढ़ाई गयी है. उनसे बात कर जल्दी सिग्नल शुरू करवाएंगे. मामले में ट्रैफिक डीएसपी अनिल राय का कहना है कि उनकी और से सभी तैयारियां पूरी हैं.नगर निगम अपना कार्य पूरा कर सिग्नल हमे हैंड ओवर करेगी तो हम इसका संचालन व जनता से पालन करवाना शुरू कर देंगे.
पहले भी धूल खा चुके हैं सिग्नल
आपको बता दें कि इससे पहले भी शहर में ट्रैफिक सिग्नल लगाए गए थे. जब तत्कालीन महापौर शैलेन्द्र डागा थे, तब सिग्नल कभी ठीक चलते और कभी बिल्कुल बंद रहते. आगे चलकर सही से देख रेख ना होने से लाखों की लागत से लगे सिग्नल पूरी तरह से ठप पड़ गए. ऐसे में अभी लगाए सिग्नल टेस्टिंग तक के लिए तरस रहे हैं. लोगों को डर है कि वर्तमान में लगे सिग्नल की दशा भी कहीं पुराने सिग्नल की तरह ना हो जाये?
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