रिपोर्ट- आशुतोष तिवारी
रीवा. जोरदार गर्मी और कड़ाके की धूप की शुरुआत अप्रैल महीने में ही हो गई है. और इन गर्मी के दिनों में राहत की ठंडक अगर मिल जाए तो मन खुश हो जाता है. यह ठंडक रीवा में देसी फ्रिज यानी मटका की कुल्फी वाले दे रहे हैं. रीवा में आपको जगह-जगह ऐसे ठेले वाले मिल जाएंगे जो आपको गर्मियों के मौसम में देसी मटका की कुल्फी के साथ काजू और बादाम का शेक पिलाते मिल जाएंगे.
इस कुल्फी को आप देसी आइसक्रीम भी कह सकते हैं. देसी फ्रिज में दूध शक्कर और खोए से बनी हुई यह कुल्फी आइसक्रीम के ब्रांडेड कंपनियों को भी टक्कर दे रही है. खास बात यह है कि इस आइसक्रीम में किसी भी प्रकार के केमिकल का उपयोग नहीं होता है. इसलिए यह स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक नहीं है और गर्मी के दिनों में राहत भी देती है.
खोया और दूध की मदद से उज्जैन से लाए गए मटके में कुल्फी जमाई जाती है. छोटी-छोटी डिब्बियों में यह कुल्फी जमाई जाती है. लेकिन जमाने से पहले दूध और खोया को साथ में मिलाकर पहले पकाया जाता. पहले दूध को खौलाया जाता है. उसके बाद उसमें शक्कर मिलाया जाता है.सुगंध के लिए इलायची भी मिलाई जाती है. इसके बाद इसमें खोया मिलाकर चलाया जाता है. और जब यह गाढ़ा खोया दूध तैयार हो जाता है तो इसे देसी मटका में छोटी-छोटी डिब्बियों में जमाने के लिए रख दिया जाता है.
काजू और बादाम शेक शुद्ध दूध से बनाया जाता है. काजू शेक में काजू डाला जाता है. जबकि बादाम शेक में बादाम डालकर कांच की शीशियों में जमने के लिए रख दिया जाता है. दिलचस्प बात यह है की इस कुल्फी को बनाने की प्रक्रिया में फ्रिज का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.शहर के लोग इस देसी मटका की कुल्फी का खूब आनंद उठाते हैं. यह कुल्फी किसी भी ठेले में 10 रुपए में आसानी से मिल जाती है.
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