रिपोर्ट- आशुतोष तिवारी
रीवा. जहां कोशिशों का कद बड़ा होता है, वहां सफलता भी बड़ी ही होती है. रीवा के पार्थ ने भी कुछ इसी तरह से कोशिश की और उनकी सफलता की चर्चा आज पूरे जिले में हो रही है. जिले के रायपुर कर्चुलियान के पटना पहडिया गांव में रहने वाले पार्थ पाण्डेय ने दुबई की मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़ कर रीवा में खुद का स्टार्टअप शुरू करने का कड़ा फैसला लिया. हालांकि वह दुबई में लाखों रुपए महीने मे कमाते थे.
पार्थ के जीवन में एक ऐसा दौर आया कि वो बेहद परेशान रहने लगे. उनकी मां की तबीयत बिगड़ने लगी. इस बात की जानकारी जब दुबई में पार्थ को मिली तो वह रीवा लौट आए. हालांकि किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान पार्थ की मां का निधन हो गया. इसके साथ हमेशा हमेशा के लिए पार्थ के सिर से मां का साया उठ गया. दुबई से लौटे पार्थ के लिए इस बुरे दौर को झेलना बेहद मुश्किल था. कुछ समय तक वो बेहद तनाव में रहे. इसके बाद जब धीरे-धीरे तनाव से उबरे तो उन्होंने तय किया कि अब वो बाहर नहीं जाएंगे बल्कि अपने ही शहर में खुद का बिजनेस शुरू करेंगे.
सोच आगे बढ़ी तो शुरू की बेकरी
पार्थ पाण्डेय ने इस बात का पता लगाया कि किस क्षेत्र में बेहतर कारोबार किया जा सकता है. उनको जल्द ही एक रास्ता मिल गया. इसके बाद उन्होंने बैंक से करीब 25 लाख रुपए का लोन लिया. इसके बाद लोन में कुछ और रुपए लगाकर रीवा शहर के कालेज चौराहे के पास विन्नी केक के नाम से दुकान खोली.
सात से आठ लाख रुपए महीने कमा रहे
पार्थ अपनी दुकान में बेकरी से जुड़े कई आइटम बनाकर बेचते हैं. महज एक वर्ष के अंदर उनके कारोबार को तेजी से गति मिली. आज पार्थ करीब सात से आठ लाख रुपए महीने की कमाई कर रहे हैं. यही नहीं, बेकरी की सामग्री रीवा शहर के साथ ही जिले के सभी कस्बाई क्षेत्रों के अलावा सतना और सीधी जिले में भी सप्लाई हो रही है. इसके साथ बेकरी के कारोबार में दो दर्जन से अधिक लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं.
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