रिपोर्ट- अनुज गौतम
सागर. दुनिया तेज़ी से बदल रही है. 4G के बाद लोग 5जी में प्रवेश कर रहे हैं. इस दौर में लोगों को खुद अपनी तक चिंता नहीं रहती है, लेकिन भागम भाग वाले इस जमाने में एक संस्था ऐसी भी है जो बताती है कि इंसानियत आज भी जिंदा है लोग चाहें तो अच्छा काम करने के लिए भी उनके पास पर्याप्त समय है
यह संस्था मानसिक रूप से कमजोर लोगों का ना केवल ख्याल रखती है बल्कि परिवार की तरह जिम्मेदारी को निभाते हुए उनका इलाज कराती है. ग्रीन डॉट ट्रस्ट यही सामाजिक काम करती है कि जहां भी फुटपाथ सड़क रोड के किनारे कोई इस तरह की असहाय मानसिक रूप से कमजोर लोग उन्हें मिलते हैं तो वे उन्हें आश्रम ले जाते हैं ट्रीटमेंट कराते हैं फिर उनके परिवार से मिलाते हैं. और उन्हें ठीक करने का बहुत ही नेक काम करते है.
एक साल पहले लापता
सागर जिले के राहतगढ़ में एक साल पहले अचानक लापता हुई महिला को इस संस्था ने पंद्रह सौ किलोमीटर दूर से पता लगाकर उसके पति को सौंप दिया जिसके बाद पत्नी भावुक हो गई तो वही इस कार्य के लिए ग्रामीणों ने इस संस्था के आई सदस्यों का फूल माला पहना कर सम्मान किया है.
परिवार गांव और जिले का पता लगाया
दरअसल सागर जिले के राहतगढ़ ब्लॉक में आने वाले बहादुरपुर गांव की 41 साल की अंजली कुशवाहा मानसिक रूप से कमजोर महिला थी, पिछले साल इन्हीं दिनों अपने गांव से गुम हो गई और भटकते हुए कर्नाटक के मैसूर जा पहुंची, करीब 6 महीने पहले जुलाई 2022 में अंजली को सामाजिक संस्था ग्रीन डॉट ट्रस्ट ने अपने ट्रस्ट के आश्रम में भर्ती कराकर उसका इलाज कराया और जब वह ठीक हो गई तो उसके परिवार गांव और जिले का पता लगाया.
हवाई जहाज से भोपाल तक लाए
सही पता मिलने के बाद ट्रस्ट के सदस्य श्रीनिवास केबी और हर्षिता उस महिला को हवाई जहाज से भोपाल तक लाए. वहां से सागर आकर विश्वविद्यालय के मानव विज्ञान विभाग के एचओडी डॉ राजेश कुमार गौतम और छात्र हिमांशु लारिया की मदद से बहादरपुर राहतगढ़ पहुंचे जहां महिला के पति अशोक कुशवाहा और परिजनों के सुपुर्द कर दिया.
परिजनों को देखकर भावुक
महिला अपने परिजनों को देखकर भावुक हो गई और खुशी में आंसू निकल आए उसने संस्था का आभार व्यक्त किया. संस्था के सदस्य श्रीनिवास केवी ने जानकारी देते हुए बताया कि मैसूर में वह लोग एक एनजीओ चलाते हैं जिनमें मानसिक रूप से कमजोर लोगों की सेवा की जाती है उन्हें आश्रम में रखा जाता है इलाज की व्यवस्था की जाती है परिवार की तरह उनका पालन पोषण किया जाता है ऐसा ही इस महिला के साथ भी किया था.
ठीक होने के बाद अंजली के बारे में उन्होंने विश्वविद्यालय के राजेश कुमार गौतम से संपर्क कर महिला की जानकारी जुटाई थी और जब ट्रस्ट के सदस्य महिला को लेकर बहादुरपुर पहुंचे तो गांव के लोगों ने उनका सम्मान किया गया.
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