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जया किशोरी ने युवाओं को दिए मंत्र, बोलीं- मित्र और सलाहकार श्री कृष्ण जैसे बनाएं

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सुश्री जया किशोरी ने कहा कि अपने जीवन में आस पास ,मित्र और सलाहकार श्रीकृष्ण जैसे बनाएं. हर व्यक्ति के भीतर कृष्ण है. हर घर में ग्रंथ ,गीता है उसका अध्ययन करें.

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अनुज गौतम/सागर. सागर जिले के माल्थोन में प्रसिद्ध कथावाचक और मोटिवेशनल स्पीकर “जया किशोरी” का एक दिवसीय आध्यात्मिक सत्र का आयोजन किया गया. इसमें उन्होंने “श्री कृष्ण से जीवन की सीख” विषय पर आधारित प्रवचन दिए. यह कार्यक्रम माल्थोन में स्थित किला परिसर में आयोजित किया गया था. जया किशोरी के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का जन सैलाब उमड़ा. उन्होंने अपने आध्यात्मिक सत्र के दौरान भजनों से ऐसा समां बांधा कि एक साथ पांडाल में हजारों लोग झूमने लगे.

कार्यक्रम के अंत में जब उन्होंने काली कमली वाला मेरा यार है, गोविंदा आला रै, किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए, हर घडी आनंद ही आनंद है, एक नजर कृपा की कर दो सांवरिया गिरधारी, मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है जैसे भजनों के कुछ प्रमुख अंश सुनाएं तो श्रद्धालु भक्ति भाव में डूबे हुए नजर आए.
श्री कृष्ण से जीवन की सीख पर दिए प्रवचन
आध्यात्मिक सत्र में सुश्री जया किशोरी ने कहा कि अपने जीवन में आस पास ,मित्र और सलाहकार श्रीकृष्ण जैसे बनाएं. हर व्यक्ति के भीतर कृष्ण है. हर घर में ग्रंथ ,गीता है उसका अध्ययन करें. जिस कृष्ण को बाहर ढूढ़ रहे हो वह आपके घर के अंदर है. सच्चे आनन्द का महसूस करना उनकी लीलाओं से मिल जाएगा.
उन्होंने अर्जुन और कृष्ण, दुर्योधन और कर्ण की मित्रता के प्रसंग के माध्यम से कहा कि युवाओं आपके दोस्त अच्छे होने चाहिए जो आपके बुरे काम में साथ न दें. अर्जुन और कृष्ण की तरह,दोस्त का मतलब मौज मस्ती नहीं ,अच्छाई बढ़ने में समय लगता है लेकिन बुराई बढ़ने में समय नहीं लगता. अच्छे काम के लिए मां बाप को बोलना पड़ता है अच्छा बनना कठिन है और बुरा बनना आसान है. जिसके लिए किसी को नहीं बोलना पड़ता. बुरे लोगों के साथ मेहनत नहीं लगती. भगवान के जीवन की पहली सीख यही है. आपके आसपास अर्जुन कृष्ण जैसे सलाहकार दोस्त होने चाहिए. ये मायने रखता है सलाहकार कौन हैं. महाभारत और गीता से सीख लें. अपने जीवन में कृष्ण जैसे मित्र सलाहकार रखो. जिसको सत्संग पसंद है उसके लिए हर घड़ी आंनद ही आनंद हैं. सुश्री जया किशोरी जी ने कहा कि पांडव के सलाहकार भगवान कृष्ण थे, जिंदगी का दूसरा नाम परेशानी है ,
जिसे सत्संग पसंद है उसके लिए हर घड़ी आंनद ही आनंद
श्री कृष्ण को जीवन में कभी सुख नहीं मिला पूरे जीवन दुख उठाते रहे. जब श्री कृष्ण का जन्म हुआ इससे पहले उनकी मृत्यु बाहर खड़ी थी. जेल में जन्म लेते माता पिता से अलग कर दिया. उनके बचपन से दैत्यों फिर कंस से सामना हुआ है. उन्होंने बच्चों के बारे में कहा कि बच्चे सोचते हैं कि जल्दी बड़े हो जाए, जब बड़े होते तब कहते इससे अच्छा हमारा बचपन बढ़िया था.
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