रिपोर्ट: अनुज गौतम
सागर. बुंदेलखंड के प्रसिद्ध बाघराज मंदिर में इस साल भी कंकाली का स्वरूप और उनका नृत्य देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में शहर भर से श्रद्धालु पहुंचे. ज्यादातर महिला श्रद्धालु शामिल थी. यह कार्यक्रम पिछले 16 सालों से लगातार हो रहा है. मां कंकाली अपने भयानक रूप में नृत्य करती हैं, तो कई बार बच्चे डरकर मां के आंचल में छिप जाते हैं. तब महिलाएं अपने बच्चों को महाकाली की कहानी सुनाकर उनका डर दूर भगाती हैं. असल में मां कंकाली का भेस धरकर कलाकार द्वारा नृत्य प्रस्तुत किया जाता है और मां से जुड़ी एक पौराणिक कथा को दर्शाया जाता है.
माता के लोकगीत गाने वाले भजन गायक राजू पटेल और धनीराम सेन की टीम भी यहां पर आई हुई है, जिनके धार्मिक लोकगीतों पर माता कंकाली नृत्य करती नज़र आईं. आज गुरुवार तड़के 4 बजे से सुबह 8 बजे तक यह कार्यक्रम चलता रहा. बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटे रहे.
मंदिर परिसर में सुबह 4 बचे से होने वाले इस कंकाली नृत्य में प्रदर्शित किया जाता है कि कैसे महाकाली राक्षसों का विनाश करने के बाद नाराज हो जाती हैं. लोक प्रचलित कथा के अनुसार जो भी सामने आता है उसे वह छोड़ती नहीं हैं. देवताओं द्वारा माता का क्रोध शांत करने के लिए भगवान भोलेनाथ से विनती की जाती है. तब भगवान भोलेनाथ उनके पैरों के नीचे आ जाते हैं. इसके बाद मां जगत जननी जगदंबा का क्रोध शांत होता है. इस कथा को ही यहां नृत्य में दिखाया जाता है.
साक्षात काली स्वरूप के दर्शन करने के लिए हर बार ही यहां पर श्रद्धालुओं का तांता लगता है. बाघराज मंदिर में हरसिद्धि माई तीन रूप में विराजमान हैं. भक्तों की मुरादों को पूरा करती हैं इसलिए चैत्र नवरात्रि में हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. मंदिर समिति द्वारा भी अलग-अलग तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें शहर के लोग हिस्सा बनते हैं. मंदिर परिसर में मेले का भी आयोजन किया जाता है. 9 दिनों तक यहां पर मेला लगा रहता है.
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