रिपोर्ट: अनुज गौतम
सागर: विश्व रंगमंच दिवस पर सागर के रविंद्र भवन में कालिदास की रचना अभिज्ञान शकुंतलम पर नाटक की प्रस्तुति दी गई कलाकारों के द्वारा गजब की अदाकारी की गई, इसमें अभिनय म्यूजिक डायरेक्शन को इस तरह से प्रस्तुत किया गया. हर समय यह अपने से कनेक्ट रहा. दर्शकों से खचाखच भरे भवन में राजा दुष्यंत और शकुंतला के मिलन प्रेम बिरह को लेकर शानदार अभिनय किया गया.
इसमें प्रमुख रूप से राजा दुष्यंत, शकुंतला नाटक के प्रमुख पात्र थे तो वही ऋषि दुर्वाशा का श्राप इनके बिरह और पुनः मिलन का कारण बनता है. कलाकार अपने रंग में इस कदर डूबे नजर आए. कि जब शकुंतला राजा दुष्यंत का विरह होता है तो अभिनय करने वाली शकुंतला के सच में झर झर आंसू बहने लगते हैं उसकी पीड़ा को देख दर्शक भी कुछ समय के लिए भावुक होते हुए नजर आए.
राजा दुष्यंत के नगर में नीति, न्याय और अनुशासन का दंभ भरा जाता है जो लोगों के लिए काफी पसंद आता है, लेकिन शकुंतला से मिलने के बाद ऋषि के श्राप से उसको भूल जाना, क्षमा याचना पर श्राप की सीमा को कम कर देना और राजा के द्वारा जब किसी निशानी को दिखाने की बात कही जाती है तो शकुंतला के द्वारा नदी में जल क्रीड़ा के समय उस अंगूठी का गुम जाना जिसके बाद शकुंतला बदहवास हो जाती है आश्रम से आए लोग उसे दासी बनकर रहने को कहते हैं तब शकुंतला अपनी परिस्थिति को कहती है, लेकिन इसी को सुधारने फिर नई कहानी को अभिज्ञानम नाम से प्रदर्शित करना, जिसमें राजा के द्वारा नीति और न्याय की बात करते हैं जो शकुंतला को भी सही लगती है और वह राजा को क्षमा कर कर ऋषि के आश्रम चली जाती है.
22 कलाकार रहे शामिल
यह नाटक दर्शकों को बांधे रखता है. 22 कलाकारों के द्वारा इस नाटक को महज 30 दिनों में तैयार किया गया है. बता दें कि संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय नई दिल्ली के द्वारा रंगमंच को लेकर एक वर्कशॉप का आयोजन रंग फोरम थियेटर के साथ मिलकर सागर में किया गया था. इसमें बिहार, कोलकाता, यूपी और मध्य प्रदेश के अलग-अलग शहरों से आए करीब 22 बच्चे शामिल थे.
सिखाई गईं बारीकियां
वर्कशॉप के सागर में होने की वजह से अधिकांश बच्चे इसमें लोकल से ही शामिल किए गए थे और उन्हें ही प्राथमिकता दी गई. जिन्हें इस रंग कार्यशाला में प्रतिभागियों ने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से आए विषय विशेषज्ञों के साथ-साथ देश के अन्य उत्कृष्ट विशेषज्ञों से अभिनय,छाऊ, भरतनाट्यम , संगीत के साथ-साथ अभिनय के अन्य पहलुओं की बारीकियां सिखाई गईं.
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