सतना जिले के इस बांध से 1214 हेक्टेयर जमीन पर हर साल सिंचाई होती थी और किसानों को गेहूं की फसल के लिए 21 दिनों के अंतराल में चार बार पानी मिलता था.
सतना. सतना जिले में किसान और जल संसाधन विभाग दोनों परेशान हैं. इसकी वजह है जिले की उचेहरा तहसील में स्थित कुलगड़ी डैम के बह रहा पानी. किसानों को फसल की सिंचाई के लिए पानी देने जल संसाधन विभाग ने इस डैम के गेट खोले थे. लेकिन गेट बंद अब तक नहीं किए गए. इस वजह से पानी बेकार बह रहा है. चिंता ये है कि जब फसलों के लिए पानी की जरूरत होगी तब तक डैम खाली हो चुका होगा.
1967 में बना सतना जिले का कुलगड़ी बांध लबालब भरा था. लेकिन अब सिर्फ एक तिहाई ही पानी बचा है जबकि बारिश का मौसम आने में अभी 6 महीने की देर है. दरअसल इस बांध से नवम्बर महीने में रबी की फसल के लिए पानी छोड़ा गया. हर साल नवम्बर से 21 दिन के अंतराल में चार-चार दिन के लिए पानी छोड़ा जाता है ताकि किसान फसल की बुबाई और सिंचाई कर सकें. हर बार की तरह इस बार भी नवम्बर में पानी छोड़ा गया, लेकिन गेट बंद नहीं किया गया. इसका कारण ये है कि मुख्य गेट में तकनीकी खराबी आ गई थी इसीलिए गेट बंद नहीं हो पा रहा था. फिर पत्थर गेट में फंस गया.
डैम का पानी खत्म होने से किसानों की चिंताएं बढ़ी
एक पखवाड़े से ज्यादा समय हो चुका है, लगातार बांध से पानी निकल रहा जो किसी काम का नहींं है. किसानों के खेत में पानी से हो रहे नुकसान को देखते हुए बांध का पानी सतना नदी में छोड़ा जा रहा है. हर साल गेहूं की फसल के लिए चार बार गेट खोला जाता था और बाकी पानी स्टॉक किया जाता था. लेकिन इस बार 8,49 घन मीटर भरे पानी में से अब सिर्फ 4 मीटर पानी बचा है, जो लगातार खत्म हो रहा है. ऐसे में किसानों की चिंताएं बढ़ी हुई हैं. किसानों को फसल सूखने का डर सता रहा है. चार बार पानी अब मिल नहीं सकता.
डैम के गेट की समय रहते मरम्मत करने की जरूरत
सतना जिले के इस बांध से 1214 हेक्टेयर जमीन पर हर साल सिंचाई होती थी और किसानों को गेहूं की फसल के लिए 21 दिनों के अंतराल में चार बार पानी मिलता था. लेकिन इस बार ये संभव नही हो सकता. जल संसाधन विभाग इस मामले में सिर्फ पत्राचार कर रहा है. मुख्य कार्यपालन यंत्री का कहना है तकनीकी अमले को सूचना दी गई है. गेट सुधारने के लिए पत्र लिखा गया है. बहरहाल पिछले एक पखवाड़े से लगातार पानी सतना नदी में बह रहा जो किसी मतलब का नहीं है. यदि जल्द गेट की मरम्मत नहीं की गई, तो किसानों की मेहनत और सपने चकनाचूर होंगे.
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