कांग्रेस विधायक जजपाल सिंह को छानबीन समिति से बड़ी राहत, विधायकी से खतरा टला

कांग्रेस विधायक जजपाल सिंह को छानबीन से क्लीन चिट
अशोकनगर के कांग्रेस विधायक जजपाल सिंह (JajPal Singh) को बड़ी राहत मिली है. जजपाल सिंह के जाति प्रमाणपत्र (Caste Certificate) की जांच कर रही उच्चस्तरीय छानबीन समिति ने जजपाल सिंह के अनुसूचित जाति के प्रमाणपत्र को वैध माना है. समिति ने फैसले की कॉपी अशोकनगर कलेक्टर को भेज दी है.
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated: December 21, 2019, 9:45 PM IST
भोपाल. मध्य प्रदेश के अशोकनगर (Ashoknagar) के कांग्रेस विधायक जजपाल सिंह पर जाति बदलकर चुनाव लड़ने के आरोप लगे थे. आरोपों के मुताबिक जजपाल सिंह ने बार-बार अपनी जाति बदलकर चुनाव लड़ा. उनकी जाति का मामला हाईकोर्ट (High court) भी गया था. छानबीन समिति का फैसला आने के बाद न्यूज़ 18 से खास बातचीत करते हुए जजपाल सिंह ने कहा कि उनकी जाति के मामले में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेताओं की ओर से भ्रम फैलाने की कोशिश की गई थी, लेकिन छानबीन समिति से उन्हें न्याय मिला है.
क्या थे जजपाल सिंह पर लगे आरोप?
>> जजपाल सिंह 1994-1999 तक सामान्य सीट से जनपद पंचायत सदस्य रहे
>> 1999 में उन्होंने एससी सीट से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा>> दिसंबर 1999 में ही ओबीसी के आधार पर अशोकनगर नगर पालिका अध्यक्ष चुने गए
>> 2013 में फिर एससी कोटे से अशोकनगर सीट से चुनाव लड़ा
>> 2018 में इसी आरक्षित सीट से विधायक चुने गए
अब तक क्या हुआ?
इन आरोपों के बाद हुई जांच में राज्य स्तरीय छानबीन समिति ने 2013 में उनके ओबीसी और एससी दोनों प्रमाण पत्रों को फर्जी बताया था लेकिन मामला कोर्ट में गया जहां कोर्ट ने उन्हें सुनवाई का एक और मौका देने की बात कही. मामले में दोबारा हुई सुनवाई के बाद छानबीन समिति ने माना कि जजपाल सिंह का अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र सही था.
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क्या थे जजपाल सिंह पर लगे आरोप?
>> जजपाल सिंह 1994-1999 तक सामान्य सीट से जनपद पंचायत सदस्य रहे
>> 1999 में उन्होंने एससी सीट से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा>> दिसंबर 1999 में ही ओबीसी के आधार पर अशोकनगर नगर पालिका अध्यक्ष चुने गए
>> 2013 में फिर एससी कोटे से अशोकनगर सीट से चुनाव लड़ा
>> 2018 में इसी आरक्षित सीट से विधायक चुने गए
अब तक क्या हुआ?
इन आरोपों के बाद हुई जांच में राज्य स्तरीय छानबीन समिति ने 2013 में उनके ओबीसी और एससी दोनों प्रमाण पत्रों को फर्जी बताया था लेकिन मामला कोर्ट में गया जहां कोर्ट ने उन्हें सुनवाई का एक और मौका देने की बात कही. मामले में दोबारा हुई सुनवाई के बाद छानबीन समिति ने माना कि जजपाल सिंह का अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र सही था.
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