गरीबनाथ बाबा का लक्खी मेला शुरू, पहले दिन हजारों श्रद्धालुओं ने की पूजा-अर्चना

मेले में समाधि उत्सव में भाग लेते श्रद्धालु
मेले को लेकर मान्यता है कि गरीबनाथ बाबा ने अवंतिपुर बड़ोदिया में विक्रम संवत 1345 ई. में जीवित समाधि ली थी. इसके बाद से यहां हर साल रंगपंचमी पर समाधि उत्सव का आयोजन किया जाता है.
- ETV Rajasthan
- Last Updated: March 7, 2018, 8:15 AM IST
मध्यप्रदेश में शाजापुर ज़िले के अवंतिपुर बड़ोदिया में गरीबनाथ बाबा प्रसिद्ध पंद्रह दिवसीय मेला मंगलवार से शुरू हो गया है. मेले में पहले दिन पहुंचे हजारों श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना कर मन्नत मांगी. प्रदेश भर से करीब एक लाख श्रद्धालुओं के मेले में आने की संभावना जताई जा रही है. मेले को लेकर स्थानीय प्रशासन ने आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली हैं. मेला स्थल पर जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. मेले में चौबीसों घंटे पुलिसककर्मी मौजूद रहेंगे.
इस मेले को लेकर मान्यता है कि गरीबनाथ बाबा ने अवंतिपुर बड़ोदिया में 100 वर्ष रहने के पश्चात अपने तप के बल पर दीन-दुखियों की सेवा करते हुए विक्रम संवत् 1345 ई. में जीवित समाधि ले ली थी. इसके बाद से यहां हर साल रंगपंचमी पर समाधि उत्सव का आयोजन किया जाता है.
समाधि उत्सव में रंगपंचमी के दिन श्रद्धालु समाधि स्थल की हाथों से खुदाई में करते हैं और लकड़ी से निर्मित 85 फुट ऊंचे स्मृति ध्वज को मोटे रस्सों के सहारे उतारते हैं. ऐसी मान्यता है कि बाबा की समाधि के गड्ढे में मनौती के रूप में गत वर्ष डाली गई पान, नमक, नारियल आदि सामग्री खुदाई के दौरान यथावत निकलती है. श्रद्धालुओं का मानना है कि समाधि से निकाली गई साम्रगी औषधीय गुण आ जाते हैं.
मेला आयोजन समिति के सचिव महेंद्र सोनी ने बताया कि मेले की विधिवत शुरुआत हो चुकी है. मेले में किसी तरह की अव्यवस्था न फैले इसके लिए समिति ने विशेष इंतजाम किए हैं.
इस मेले को लेकर मान्यता है कि गरीबनाथ बाबा ने अवंतिपुर बड़ोदिया में 100 वर्ष रहने के पश्चात अपने तप के बल पर दीन-दुखियों की सेवा करते हुए विक्रम संवत् 1345 ई. में जीवित समाधि ले ली थी. इसके बाद से यहां हर साल रंगपंचमी पर समाधि उत्सव का आयोजन किया जाता है.
समाधि उत्सव में रंगपंचमी के दिन श्रद्धालु समाधि स्थल की हाथों से खुदाई में करते हैं और लकड़ी से निर्मित 85 फुट ऊंचे स्मृति ध्वज को मोटे रस्सों के सहारे उतारते हैं. ऐसी मान्यता है कि बाबा की समाधि के गड्ढे में मनौती के रूप में गत वर्ष डाली गई पान, नमक, नारियल आदि सामग्री खुदाई के दौरान यथावत निकलती है. श्रद्धालुओं का मानना है कि समाधि से निकाली गई साम्रगी औषधीय गुण आ जाते हैं.