सुनील रजक/शिवपुरी. शिवपुरी में जब कैफे कल्चर प्रचलन मेंनहीं था,तब एक युवती आंचल सक्सेना ने बड़े शहरों की तर्ज पर छोटे से शहर शिवपुरी में कैफे खोलने का साहसिक कदम उठाया. आज MP33 नाम का यह कैफे शिवपुरी ही नहीं, बल्कि आसपास के शहरों में भी पहचाना जाता है.कस्टमर जब इस कैफे में प्रवेश करते हैं तो यहां की सजावट देख अचंभित रह जाते हैं.
रेस्टोरेंट फील्ड पुरुषों के वर्चस्व वाला माना जाता है, लेकिन शिवपुरी जैसे छोटे शहर में आंचल सक्सेना ने कैफे शुरू करने का विचार किया तो लोगों को उनके सफल होने पर संदेह होने लगा, लेकिन आंचल ने ठान लिया था कि इस शहर में पहला कैफे तो वो ही खोलेंगी, कठिनाईयां चाहे जो आएं. उनकी इसी जिद ने आज उन्हें एक सफल कैफे संचालिका बना दिया है.
नाम भी अनोखा, MP33 कैफे
अपने बिजनेस को सक्सेस करने के लिए आंचल ने हर एक पहलू पर काम किया.शिवपुरी आरटीओ में वाहनों का रजिस्ट्रेशन नंबरMP33 मिलता है. इसी को देखते हुएआंचल ने अपने कैफे का नामएमपी 33 कैफे रख दिया उनका मकसद यहथा कि अगर कोई बाहरी जिलों से भी इस कैफे पर आता है तो इस आसान से नाम के जरिएशिवपुरी को पहचाने. आंचल को इसका फायदा भी मिला. बाहर से आने वाले लोगकैफेटेरिया के लिए गूगल पर सर्च करते हैं, तोएमपी 33 कैफे सबसे पहले दिख जाता है.
सजावट ऐसी कि कैफे निहारने भी पहुंचते हैं लोग
एमपी 33 कैफे की संचालिका आंचल सक्सेना ने बताया कि उन्होंने शिवपुरी में यह कैफे तब शुरू कियाथा जब यहां कैफे नहीं हुआ करते थे. न्यू ब्लॉक में उन्होंने अपना कैफेटेरियाखोला. खाद्य पदार्थों की क्वालिटी, स्वच्छता और कैफेटेरिया की सजावट पर विशेष ध्यान दिया. इसीलिए आज कई लोग इनके कैफेटेरिया में इसे देखने और बैठकर खाने का आनंद लेने भी पहुंचते हैं.शुरुआत से ही आँचल को लोगों का लगातार सपोर्ट मिलता गया. कैफे में फास्ट फूड और चाइनीस सहित अन्य प्रोडक्ट भी उपलब्ध है.
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