लोकसभा चुनाव 2019: यहां पढ़े-लिखे लोग ही नहीं करते मतदान !

फाइल फोटो
जिले में मतदान प्रतिशत लगभग 45 से 55 फीसदी के बीच ही रहता है. मतदान प्रतिशत को किस तरीके से बढ़ाया जाए ये विषय अधिकारियों के लिए सिर दर्द बना हुआ है.
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated: March 24, 2019, 12:46 PM IST
मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव की तारीख नजीक आते ही सिंगरौली जिले में प्रशासन को मतदान प्रतिशत की चिंता सताने लगी है. बीते चुनाव में भी जिले का ओवरऑल मतदान प्रतिशत बहुत कम था. यहां मतदान प्रतिशत लगभग 45 से 55 फीसदी के बीच ही रहता है. मतदान प्रतिशत को किस तरीके से बढ़ाया जाए ये विषय अधिकारियों के लिए सिर दर्द बना हुआ है.
सही मायने में देखा जाए तो ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहर में ही मतदान प्रतिशत काफी कम रहता है. माना जा रहा है कि यही वजह जिले के मतदान प्रतिशत को प्रभावित करता है. सिंगरौली जिले के दर्जन भर से ज्यादा पोलिंग बूथ इंडस्ट्रियल इलाकों में हैं. एनटीपीसी और एनसीएल प्रोजेक्टों के भीतर वोटिंग बेहद काम रहता है. महज 15 से 20% लोग ही यहां मतदान करने निकलते हैं. जबकि यह इलाका ऐसा है जहां पर पढ़े-लिखे लोग और नौकरी पेशा लोग रहते हैं.
इस क्षेत्र में वोटिंग प्रतिशत का काफी कम होना बेहद चिंताजनक है, हालांकि इस मामले में प्रशासन का तर्क है कि नौकरी पेशे से जुड़े लोग, जो यहां एनसीएल-एनटीपीसी में कार्यरत हैं वह अपना नाम वोटर लिस्ट में दर्ज नहीं करवाते. साथ ही ट्रांसफर के बाद वे वोटर लिस्ट से नाम भी नहीं कटवाते. ऐसे में वोटिंग प्रतिशत कम होता है.
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सही मायने में देखा जाए तो ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहर में ही मतदान प्रतिशत काफी कम रहता है. माना जा रहा है कि यही वजह जिले के मतदान प्रतिशत को प्रभावित करता है. सिंगरौली जिले के दर्जन भर से ज्यादा पोलिंग बूथ इंडस्ट्रियल इलाकों में हैं. एनटीपीसी और एनसीएल प्रोजेक्टों के भीतर वोटिंग बेहद काम रहता है. महज 15 से 20% लोग ही यहां मतदान करने निकलते हैं. जबकि यह इलाका ऐसा है जहां पर पढ़े-लिखे लोग और नौकरी पेशा लोग रहते हैं.
इस क्षेत्र में वोटिंग प्रतिशत का काफी कम होना बेहद चिंताजनक है, हालांकि इस मामले में प्रशासन का तर्क है कि नौकरी पेशे से जुड़े लोग, जो यहां एनसीएल-एनटीपीसी में कार्यरत हैं वह अपना नाम वोटर लिस्ट में दर्ज नहीं करवाते. साथ ही ट्रांसफर के बाद वे वोटर लिस्ट से नाम भी नहीं कटवाते. ऐसे में वोटिंग प्रतिशत कम होता है.
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