रिपोर्ट- अनुज गौतम सागर
सागर. यहां के प्रसिद्ध बाघराज मंदिर के मुख्य द्वार पर 11 फीट से ज्यादा लंबी सांप की केंचुली का मिलना लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है. श्रद्धालु इसे सिद्ध क्षेत्र का चमत्कार बता रहे हैं. चमत्कार इसलिए कह रहे क्योंकि यहा गुफा में मौजूद अजगर को मंदिर का रक्षक कहा जाता हैं.
इस मंदिर की शहर के अलावा दूर-दूर के लोगों में भी काफी आस्था है. यह बहुत प्राचीन मंदिर है. जीर्णोद्वार होने के बाद यह और भी भव्य हो गया है. मंदिर के पुजारी इसे मंदिर के रक्षक अजगर दादा का दूसरे रूप में आकर माता का दर्शन करना बता रहे हैं. उनका दावा है कि यह माता मंदिर की प्राचीन स्थली कई साधु संतों की साधना स्थली रही है. आज भी यहां संत साधना में लीन है लेकिन दूसरे रूपों में आकर माता रानी के दर्शन करते हैं और फिर वापस चले जाते हैं. नवरात्रि में अक्सर यह देखा जाता है कि इस मंदिर परिसर में कहीं ना कहीं श्रद्धालुओं को अजगर दादा के दर्शन करने का पुण्य लाभ प्राप्त होता है.
25 फीट लंबे अजगर का निवास
मंदिर में एक गुफा है, जिसमें करीब 25 फीट लंबे अजगर का निवास है. पुजारी का कहना है कि वह भी कोई बहुत बड़े संत हैं, वे यहां के रक्षक भी हैं हमारे पूर्वज भी उनको गुफा में देखते आए हैं. इसलिए उन्हें अजगर दादा या बाघराज दादा के नाम से जानते है. उनके प्रत्यक्ष दुर्लभ दर्शन बड़े ही सौभाग्य वाले लोगों को हो पाते हैं. साधु संत दूसरे रूपों में मां भगवती के दर्शन करने आते हैं वह कभी प्रत्यक्ष रूप से लोगों को अपने दर्शन देते हैं तो कभी माता के दर्शन करने के बाद ऐसे प्रमाण छोड़ देते हैं जिन से यह स्पष्ट हो जाता है कि वह माता रानी के दर्शन करने आए थे.
इस क्षेत्र के रक्षक
बता दें किबुंदेलखंड के सागर में प्रसिद्ध बाघराज देवी मंदिर है जहां पर मां हरसिद्धि तीन रूप में विराजमान है, पहले जंगली और पहाड़ी इलाका होने की वजह से बाघ खुद माता के दर्शन करने आते थे तो यहां पर स्थित गुफा में काफी लंबे और मोटे अजगर दादा भी हैं, जो इस क्षेत्र की रक्षा करते हैं उन्हें मंदिर का रक्षक भी कहा जाता है जब तब यहां पर उनके बच्चे निकलते रहते हैं जिन्हें अजगर दादा के वंशज के रूप में ही देखा जाता है.
नहीं पहुंचाते हैं नुकसान
खास बात यह रहती है कि पिछले कई सालों से कई अजगरों और अन्य सर्पों को इस इलाके से पकड़े जाने के बाद भी यहां इनकी संख्या कम नहीं होती है. कई तरह के खतरनाक सांप निकलने के बाद भी आज तक किसी सर्प ने किसी भी व्यक्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है, मंदिर के पुजारी पुष्पेंद्र पाठक ने बताया कि यहां पर 25 फीट लंबे तक संत स्वरूप जीवो के दर्शन होते हैं इनकी लंबाई 11 फीट 17फीट, 25 फीट और 31 फीट तक होती है.
लोगों की आस्था
कई बार श्रद्धालुओं को इनके प्रत्यक्ष दर्शन हुए हैं कई बार वे प्रत्यक्ष प्रमाण भी छोड़ जाते हैं. वही एक्सपर्ट अकील बाबा की माने तो उनका कहना है कि आमतौर पर 6 से 7 फीट तक की लंबाई वाले सांप भी बमुश्किल हो पाते हैं और बहुत कम देखने को मिलते हैं 11 फीट की लंबाई बहुत अधिक हो जाती है और लोगों की जो आस्था है, हो सकता है कि वह सच भी हो.
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