खनन माफियाओं के निशाने पर हैं 25 गांव, आदिवासी समाज ने दी आंदोलन की चेतावनी

जबरन बेदखली से आक्रोश में है आदिवासी समाज.
उमरिया जिले (Umaria District) की विंध्य मैकल पर्वत श्रृंखला में बसे 25 आदिवासी गांव (25 Tribal Villages) का आकाशकोट इलाका इन दिनों खनन कारोबारियों (Mining Traders) के निशाने पर है. हालांकि अब अपने इस इलाके में खनन कारोबार के खिलाफ आदिवासी लामबंद होने लगे हैं.
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated: November 20, 2019, 5:29 PM IST
उमरिया. मध्य प्रदेश के उमरिया जिले (Umaria District) में प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर विंध्य मैकल पर्वत श्रृंखला में बसे 25 आदिवासी गांव (25 Tribal Villages) का आकाशकोट इलाका इन दिनों खनन कारोबारियों (Mining Traders) की दस्तक से सहमा हुआ है. इलाके में आए दिन सरकारी मुलाजिम जमीनों की नापजोख करते हैं और बताया जाता है कि अब इस जमीन पर खनन का कारोबार होगा. इलाके के ज्यादातर आदिवासी भूमिहीन होने की वजह से इन्हीं खाली पड़ी सरकारी जमीनों पर पुस्तों से न सिर्फ काबिज हैं बल्कि पारम्परिक खेती भी करते, लेकिन खनन की हलचल से आदिवासियों की नीद उड़ी हुई और वो अपने इस इलाके में खनन कारोबार के खिलाफ लामबंद होने लगे हैं. जबकि ग्राम अगनहुडी ने सरपंच समरजीत सिंह ने आंदोलन की चेतावनी दी है.
झुकने को तैयार नहीं हैं आदिवासी
काफी समय से समुद्र तल से काफी ऊंचाई पर स्थित पहाड़ियों पर प्राकृतिक सौन्दर्य से आबाद आकाशकोट इलाके को संरक्षित क्षेत्र घोषित करने की मांग होती रही है और यह सिलसिला आज भी जारी है. ये अलग बात है कि प्रशासन मांग पर विचार करने की बजाए लीज देने की जल्दबाजी में है, लेकिन आदिवासी समाज इससे झुकने वाला नहीं है. जबकि सामाजिक कार्यकर्ता संतोष द्विवेदी भी सरकारी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हैं और जिले की इस प्राकतिक धरोहर को संरक्षित करने के पक्ष में हैं.
खनिज विभाग ने कही ये बातजबकि पूरे मसले पर खनिज विभाग के अफसर मान सिंह इसे सरकारी प्रक्रिया बताकर पल्ला झाड़ रहे हैं. उनकी मानें तो पूरी वैधानिक कार्रवाई के बाद ही स्वीकृति की प्रकिया शुरू की जाएगी.
खनन बना खतरे की निशानी
पहले रेत व पत्थर के लिए नदियां और अब पहाड़ों पर खनन की बारी पर्यावरण के लिए किसी खतरे से कम नहीं. सरकार को खनन की अनुमति देने की बजाए पूरी छानबीन के बाद ही इस तरह की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए, ताकि पर्यावरणीय संतुलन बना रहे.
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काफी समय से समुद्र तल से काफी ऊंचाई पर स्थित पहाड़ियों पर प्राकृतिक सौन्दर्य से आबाद आकाशकोट इलाके को संरक्षित क्षेत्र घोषित करने की मांग होती रही है और यह सिलसिला आज भी जारी है. ये अलग बात है कि प्रशासन मांग पर विचार करने की बजाए लीज देने की जल्दबाजी में है, लेकिन आदिवासी समाज इससे झुकने वाला नहीं है. जबकि सामाजिक कार्यकर्ता संतोष द्विवेदी भी सरकारी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हैं और जिले की इस प्राकतिक धरोहर को संरक्षित करने के पक्ष में हैं.
खनिज विभाग ने कही ये बातजबकि पूरे मसले पर खनिज विभाग के अफसर मान सिंह इसे सरकारी प्रक्रिया बताकर पल्ला झाड़ रहे हैं. उनकी मानें तो पूरी वैधानिक कार्रवाई के बाद ही स्वीकृति की प्रकिया शुरू की जाएगी.
खनन बना खतरे की निशानी
पहले रेत व पत्थर के लिए नदियां और अब पहाड़ों पर खनन की बारी पर्यावरण के लिए किसी खतरे से कम नहीं. सरकार को खनन की अनुमति देने की बजाए पूरी छानबीन के बाद ही इस तरह की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए, ताकि पर्यावरणीय संतुलन बना रहे.
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