उमरिया में सिविल सर्जन 20 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार

अपने कार्यालय में सिविल सर्जन और कार्रवाई करती लोकायुक्त पुलिस की टीम.
लोकायुक्त पुलिस की 15 सदस्यीय टीम ने योजनाबद्ध तरीके से बुधवार को सिविल सर्जन बीपी पटेल को उनके कार्यालय में 20 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथों गिरफ्तार किया.
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated: October 11, 2018, 12:50 AM IST
मध्यप्रदेश के उमरिया में जिला अस्पताल के सिविल सर्जन को 20 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार किया गया है. जिला चिकित्सालय में पदस्थ एक फार्मासिस्ट की शिकायत पर लोकायुक्त रीवा की 15 सदस्यीय टीम ने यह कार्रवाई की. फार्मासिस्ट के इस्तीफे के बाद उसे फिर से नौकरी पर रखने के लिए सिविल सर्जन ने चालीस हजार रुपए की रिश्वत की मांग की थी. इसकी पहली किस्त के 20 हजार रुपए लेते हुए वे पकड़े गए.
शिकायतकर्ता फार्मासिस्ट राजकुमार शुक्ल की मानें तो पूरा मसला सिविल सर्जन बीपी पटेल की लगातार प्रताड़ना से तंग आकर उनके द्वारा हाल ही में दिए गए इस्तीफे का है. शुक्ल ने बताया कि उनके इस्तीफा देने के महीने भर बाद सिविल सर्जन ने एक पत्र जारी कर उन्हें कार्यालय बुलाया और कहा कि तुम्हारा इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ है. तुम चाहो तो पुनः जॉइन कर सकते हो. इसके लिए तुम्हे 40 हजार रुपए सीएमएचओ साहब को रिश्वत के रूप में देने होंगे.
इसके बाद राजकुमार शुक्ल ने लोकायुक्त रीवा में इस बात की शिकायत दर्ज कराई. लोकायुक्त पुलिस ने शिकायत की जांच उपरांत मामले को सही पाया और 15 सदस्यीय टीम ने योजनाबद्ध तरीके से बुधवार को सिविल सर्जन बीपी पटेल को उनके कार्यालय में 20 हजार की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथों पकड़ लिया.
उधर इस मामले मे सिविल सर्जन का कहना था कि उन्होंने राजकुमार शुक्ल को उधार पैसे दिए थे. शुक्ल ने इस्तीफा दे देन पर उन्होंने उससे उधार दी गई राशि मांगी थी. उन्होंने किसी तरह की रिश्वत लेने की बात से साफ इनकार किया. वहीं सीएमएचओ आरके श्रीवास्तव रिश्वत के आरोपों को सिरे खारिज कर रहे हैं.बहरहाल जिला अस्पताल में पैसों के लेन-देन का यह कोई पहला मामला नहीं है. इस तरह की शिकायतें आए दिन सुनने को मिलती रहती हैं कि कभी कोई डॉक्टर आपरेशन के नाम पर रिश्वत लेता है तो कभी सरकारी योजनाओं का लाभ देने की एवज में गरीबों से पैसे लिए जाते हैं. यही वजह है कि ताजा घटनाक्रम से अस्पताल प्रबंधन में सकते में है और रिश्वतखोरों के कान खड़े हो गए हैं.
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शिकायतकर्ता फार्मासिस्ट राजकुमार शुक्ल की मानें तो पूरा मसला सिविल सर्जन बीपी पटेल की लगातार प्रताड़ना से तंग आकर उनके द्वारा हाल ही में दिए गए इस्तीफे का है. शुक्ल ने बताया कि उनके इस्तीफा देने के महीने भर बाद सिविल सर्जन ने एक पत्र जारी कर उन्हें कार्यालय बुलाया और कहा कि तुम्हारा इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ है. तुम चाहो तो पुनः जॉइन कर सकते हो. इसके लिए तुम्हे 40 हजार रुपए सीएमएचओ साहब को रिश्वत के रूप में देने होंगे.
इसके बाद राजकुमार शुक्ल ने लोकायुक्त रीवा में इस बात की शिकायत दर्ज कराई. लोकायुक्त पुलिस ने शिकायत की जांच उपरांत मामले को सही पाया और 15 सदस्यीय टीम ने योजनाबद्ध तरीके से बुधवार को सिविल सर्जन बीपी पटेल को उनके कार्यालय में 20 हजार की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथों पकड़ लिया.
उधर इस मामले मे सिविल सर्जन का कहना था कि उन्होंने राजकुमार शुक्ल को उधार पैसे दिए थे. शुक्ल ने इस्तीफा दे देन पर उन्होंने उससे उधार दी गई राशि मांगी थी. उन्होंने किसी तरह की रिश्वत लेने की बात से साफ इनकार किया. वहीं सीएमएचओ आरके श्रीवास्तव रिश्वत के आरोपों को सिरे खारिज कर रहे हैं.बहरहाल जिला अस्पताल में पैसों के लेन-देन का यह कोई पहला मामला नहीं है. इस तरह की शिकायतें आए दिन सुनने को मिलती रहती हैं कि कभी कोई डॉक्टर आपरेशन के नाम पर रिश्वत लेता है तो कभी सरकारी योजनाओं का लाभ देने की एवज में गरीबों से पैसे लिए जाते हैं. यही वजह है कि ताजा घटनाक्रम से अस्पताल प्रबंधन में सकते में है और रिश्वतखोरों के कान खड़े हो गए हैं.
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