चंद्रयान-2 की कामयाबी में उमरिया के प्रियांशु मिश्रा का है अहम् योगदान

मध्य प्रदेश के उमरिया जिले के वैज्ञानिक प्रियांशु मिश्रा जिन्होंने चंद्रयान 2 की टीम में अहम भूमिका निभाई(फाइल फोटो)
18 जुलाई 1986 को उमरिया के छोटे से कस्बे चंदिया में जन्मे और यही पले बढ़े. प्रियांशु मिश्रा की शुरुवाती पढ़ाई चंदिया, उमरिया और शहडोल में हुई. बीआईटी मेसरा रांची से मास्टर आफ इंजीनियरिंग इन राकेट साइंस में गोल्ड मेडल हासिल किया.
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated: July 28, 2019, 12:28 PM IST
मिशन चंद्रयान 2 का मध्य प्रदेश के उमरिया जिले का खास संबंध है. उमरिया जिले के छोटे से कस्बे चंदिया के रहने वाले युवा वैज्ञानिक प्रियांशु मिश्रा चंद्रयान 2 की टीम का अहम हिस्सा थे. जब पूरा देश चंद्रयान 2 के सफल प्रक्षेपण की खुशियां मना रहा था. तब मध्य प्रदेश के इस छोटे से कस्बे चंदिया में प्रियांशु के कारण लोगों में उत्साह कुछ अलग ही था. प्रियांशु चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण करने वाले लॉन्च व्हीकल जीएसएलवी एमके-3 के निर्माण करने वाली टीम का अहम हिस्सा थे. वर्तमान में वह इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र तिरुवनंतपुरम(केरल) में पदस्थ हैं.

18 जुलाई 1986 को उमरिया के छोटे से कस्बे चंदिया में जन्मे और यही पले बढ़े. प्रियांशु मिश्रा की शुरुवाती पढ़ाई चंदिया, उमरिया और शहडोल में हुई. बाद में देहरादून से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद गेट क्वालिफाइड किया और बीआईटी मेसरा रांची से मास्टर आफ इंजीनियरिंग इन राकेट साइंस में गोल्ड मेडल हासिल किया.
बचपन से ही थी रॉकेट और अंतरिक्ष में रुचिमध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे प्रियांशु वर्ष 2009 से इसरो में जूनियर वैज्ञानिक के रूप में कार्य प्रारंभ किया. चंद्रयान 2 से पहले प्रियांशु चंद्रयान 1 की टीम का भी हिस्सा थे. इसरो में कार्य के दौरान ही वर्ष 2017 में यंग साइंटिस्ट का अवार्ड भी हासिल हुआ. प्रियांशु की इस सफलता से माता पिता गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. प्रियांशु के पिता का कहना है कि प्रियांशु को बचपन से ही रॉकेट और अंतरिक्ष में खास रुचि थी.

प्रियांशु ने चंद्रयान 2 के GSLV Mark3 लांच व्हीकल के ट्रैजेक्ट्री एवं डिजाइन निर्माण में अपना अहम रोल अदा किया है. चंद्रयान 2 की सफल प्रक्षेपण के बाद प्रियांशु अब मिशन गगनयान में लग गए हैं.
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चंद्रयान 2 की सफल लॉन्चिंग (फाइल फोटो)
18 जुलाई 1986 को उमरिया के छोटे से कस्बे चंदिया में जन्मे और यही पले बढ़े. प्रियांशु मिश्रा की शुरुवाती पढ़ाई चंदिया, उमरिया और शहडोल में हुई. बाद में देहरादून से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद गेट क्वालिफाइड किया और बीआईटी मेसरा रांची से मास्टर आफ इंजीनियरिंग इन राकेट साइंस में गोल्ड मेडल हासिल किया.
बचपन से ही थी रॉकेट और अंतरिक्ष में रुचिमध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे प्रियांशु वर्ष 2009 से इसरो में जूनियर वैज्ञानिक के रूप में कार्य प्रारंभ किया. चंद्रयान 2 से पहले प्रियांशु चंद्रयान 1 की टीम का भी हिस्सा थे. इसरो में कार्य के दौरान ही वर्ष 2017 में यंग साइंटिस्ट का अवार्ड भी हासिल हुआ. प्रियांशु की इस सफलता से माता पिता गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. प्रियांशु के पिता का कहना है कि प्रियांशु को बचपन से ही रॉकेट और अंतरिक्ष में खास रुचि थी.

ISRO प्रमुख कैलाशवादिवू सीवन के साथ वैज्ञानिक प्रियांशु मिश्रा (फाइल फोटो)
प्रियांशु ने चंद्रयान 2 के GSLV Mark3 लांच व्हीकल के ट्रैजेक्ट्री एवं डिजाइन निर्माण में अपना अहम रोल अदा किया है. चंद्रयान 2 की सफल प्रक्षेपण के बाद प्रियांशु अब मिशन गगनयान में लग गए हैं.
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