महावत की मौत के बाद ग़म में डूबा बांधवगढ़ का सुंदर हाथी....

बांधवगढ़ का सुंदर हाथी महावत की मौत के बाद सदमे में है
स्वभाव से चंचल और गुस्सैल बांधवगढ़ (bandhavgarh) का ये हाथी (elephant) अब शांत, गुमसुम और ग़म (sorrow ) में है. उसे न खाना-पीना भा रहा है और न ही अपने साथी पसंद आ रहे हैं. वो अब हाथियों के झुंड से अलग एकदम एकांत में रह रहा है.
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated: October 22, 2019, 12:48 PM IST
उमरिया. इंसान और जानवर के बीच प्रेम के किस्से तो सबने बहुत देखे-सुने होंगे.लेकिन बिछड़ने का ग़म कम ही देखा होगा. उमरिया (umaria) के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (bandhavgarh tiger reserve) में एक हाथी (elephant),अपने महावत की मौत (death)के ग़म में डूबा है.वो गुमसुम है.ना कुछ खा रहा है औऱ ना ही अपने साथियों के साथ घुल-मिल रहा है.
गुमसुम है सुंदर
बांधवगढ़ का सुंदर गज गहरे सदमे और पश्चाताप में है. उसका महावत नहीं रहा. महावत की मौत भी इसी सुंदर के पैरों तले दबने से हो गयी. सुंदर नाम का ये हाथी खितौली रेंज के कूम्ही कछार हाथी कैम्प में रहता है. स्वभाव से चंचल और गुस्सैल ये हाथी अब शांत और गुमसुम है. उसे न खाना-पीना भा रहा है और न ही अपने साथी पसंद आ रहे हैं. वो अब हाथियों के झुंड से अलग एकदम एकांत में रह रहा है. ज़रा सी आहत होते ही वो चौंक कर देखता है. उसकी आंखे अपने महावत रवि को खोज रही हैं. जब रवि नहीं दिखाई देता तो वो फिर गहरे शोक में डूब जाता है.
मौत का ग़मसुंदरगज की ये हालत 18 दिन पहले तीन अक्टूबर को हुए हादसे की वजह से है. इस हाथी कैम्प में रोज की तरह हाथियों को दोपहर का खाना खिलाया जा रहा था. अचानक सुंदर नाराज़ हो गया. जब महावत रवि बैगा उसे मनाने गया तो सुंदर ने उसे पैरों से रौंद दिया. रवि की वहीं मौत हो गयी. ये समझ में आते ही सुंदर ने फौरन वहां से दौड़ लगा दी और जाकर घने जंगल में छुप गया. बस उसके बाद से सुंदर के स्वभाव से वो चंचलता ग़ायब है.
हार गए महावत
तब से सारे महावत और स्टाफ सुंदर को मना-मना कर थक गए लेकिन वो सदमे से उबर नहीं पा रहा. सुंदर के स्वभाव में परिवर्तन से हाथी कैम्प के महावत अचरज में हैं. प्रबंधन भी इस व्यवहार से सकते में है. जानकर मानते हैं कि हाथी बहुत ही समझदार और याददाश्त वाला जानवर होता है. लिहाजा महावत रवि बैगा की मौत को इतनी जल्दी भूल पाना इसके लिए संभव नहीं है.
बाघों को काबू करते हैं हाथी
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 100 से ज़्यादा बाघ और 18 हाथी हैं. उन्हें नियंत्रित करने में इन हाथियों की मदद ली जाती है. हाथियों की सेवा, खुशामदगी और गश्त के लिए महावत नियुक्त हैं.
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गुमसुम है सुंदर
बांधवगढ़ का सुंदर गज गहरे सदमे और पश्चाताप में है. उसका महावत नहीं रहा. महावत की मौत भी इसी सुंदर के पैरों तले दबने से हो गयी. सुंदर नाम का ये हाथी खितौली रेंज के कूम्ही कछार हाथी कैम्प में रहता है. स्वभाव से चंचल और गुस्सैल ये हाथी अब शांत और गुमसुम है. उसे न खाना-पीना भा रहा है और न ही अपने साथी पसंद आ रहे हैं. वो अब हाथियों के झुंड से अलग एकदम एकांत में रह रहा है. ज़रा सी आहत होते ही वो चौंक कर देखता है. उसकी आंखे अपने महावत रवि को खोज रही हैं. जब रवि नहीं दिखाई देता तो वो फिर गहरे शोक में डूब जाता है.

मौत का ग़मसुंदरगज की ये हालत 18 दिन पहले तीन अक्टूबर को हुए हादसे की वजह से है. इस हाथी कैम्प में रोज की तरह हाथियों को दोपहर का खाना खिलाया जा रहा था. अचानक सुंदर नाराज़ हो गया. जब महावत रवि बैगा उसे मनाने गया तो सुंदर ने उसे पैरों से रौंद दिया. रवि की वहीं मौत हो गयी. ये समझ में आते ही सुंदर ने फौरन वहां से दौड़ लगा दी और जाकर घने जंगल में छुप गया. बस उसके बाद से सुंदर के स्वभाव से वो चंचलता ग़ायब है.

हार गए महावत
तब से सारे महावत और स्टाफ सुंदर को मना-मना कर थक गए लेकिन वो सदमे से उबर नहीं पा रहा. सुंदर के स्वभाव में परिवर्तन से हाथी कैम्प के महावत अचरज में हैं. प्रबंधन भी इस व्यवहार से सकते में है. जानकर मानते हैं कि हाथी बहुत ही समझदार और याददाश्त वाला जानवर होता है. लिहाजा महावत रवि बैगा की मौत को इतनी जल्दी भूल पाना इसके लिए संभव नहीं है.
बाघों को काबू करते हैं हाथी
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 100 से ज़्यादा बाघ और 18 हाथी हैं. उन्हें नियंत्रित करने में इन हाथियों की मदद ली जाती है. हाथियों की सेवा, खुशामदगी और गश्त के लिए महावत नियुक्त हैं.
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