जंगली जानवर कर रहे हैं फसल तबाह, किसान परेशान

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उमरिया जिले के बांधवगढ़ को छोड़ भी दें तो सैंकड़ों गांव की सीमा वनक्षेत्रों से लगी हुई है, जहां फसलों का नुकसान कई बार वन महकमें और ग्रामीणों के बीच टकराव का कारण बना है.
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated: January 11, 2019, 11:20 AM IST
मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में जंगल की सीमा से लगे गांवों में किसानों के लिए वन्य जीव परेशानी का सबब बन गए हैं. इन गांवों के किसानों की फसल वन्य जीवों द्वारा नष्ट कर दी जाती है और किसान मूक दर्शक की भांति देखते रह जाते हैं. किसान खेतों की लाख रखवाली के बाद भी अपनी फसल को नहीं बचा पा रहे हैं. जंगली जानवरों द्वारा फसल खराब करने पर सरकार द्वारा क्षतिपूर्ति का प्रावधान है, लेकिन कानूनी औपचारिता पूरी करने में ही किसानों का वक्त और पैसा बर्बाद हो जाता है.
प्रदेश में वन क्षेत्र में अव्वल उमरिया जिले का पर्यावरणीय माहौल भले ही मानव जीवन के लिए सेहतमंद हो, लेकिन जंगल में रहने वाले वन्यप्राणी किसानों की सेहत बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ते. जिले के दूसरे इलाकों को छोड़ भी दें तो बांधवगढ़ से लगे गांवों के किसान जंगली जानवरों से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. आलम यह है कि लाख रखवाली के बाद भी एक ही रात में वन्यप्राणी पूरी फसल चौपट कर देतें हैं.
इन किसानों की मजबूरी है कि ये जानवरों के आंतक के बावजूद खेती करना नहीं छोड़ सकते. उमरिया रेंजर एसबी सिंह का कहना है कि सरकार क्षतिपूर्ति के जरिए किसानों को राहत देती है, लेकिन जंगली जानवरों को वन की सीमा में बांध रखना नामुनकिन है. उमरिया जिले के बांधवगढ़ को छोड़ भी दें तो सैंकड़ों गांव की सीमा वनक्षेत्रों से लगी हुई है, जहां फसलों का नुकसान कई बार वन महकमें और ग्रामीणों के बीच टकराव का कारण बना है.
यह भी पढ़ें- MP: खराब हुई फसलों का सर्वे कराएगी बीजेपी, गांव-गांव जाएंगे कार्यकर्तायह भी पढ़ें- जंगली भालू के चंगुल से पति ने बचाया, पत्नी गंभीर हालत में अस्पताल रेफर
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प्रदेश में वन क्षेत्र में अव्वल उमरिया जिले का पर्यावरणीय माहौल भले ही मानव जीवन के लिए सेहतमंद हो, लेकिन जंगल में रहने वाले वन्यप्राणी किसानों की सेहत बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ते. जिले के दूसरे इलाकों को छोड़ भी दें तो बांधवगढ़ से लगे गांवों के किसान जंगली जानवरों से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. आलम यह है कि लाख रखवाली के बाद भी एक ही रात में वन्यप्राणी पूरी फसल चौपट कर देतें हैं.
इन किसानों की मजबूरी है कि ये जानवरों के आंतक के बावजूद खेती करना नहीं छोड़ सकते. उमरिया रेंजर एसबी सिंह का कहना है कि सरकार क्षतिपूर्ति के जरिए किसानों को राहत देती है, लेकिन जंगली जानवरों को वन की सीमा में बांध रखना नामुनकिन है. उमरिया जिले के बांधवगढ़ को छोड़ भी दें तो सैंकड़ों गांव की सीमा वनक्षेत्रों से लगी हुई है, जहां फसलों का नुकसान कई बार वन महकमें और ग्रामीणों के बीच टकराव का कारण बना है.
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