ऐतिहासिक जवारा जुलूस ने जीता सबका दिल, यहां इस देवी की होती है उपासना

मां बिरासनी देवी मंदिर की बात ही निराली है.
उमरिया जिला (Umaria District) जवारा जुलूस की वजह से देशभर में मशहूर है. जबकि बिरसिंहपुर पाली स्थित मां बिरासनी देवी मंदिर (Maa Birasani Devi Temple) में नवरात्र में बोए गये जवारा कलशों का विसर्जन (Jawara Kalash immersion) देखने लायक होता है.
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated: October 9, 2019, 12:01 AM IST
उमरिया. मध्य प्रदेश का उमरिया जिला (Umaria District) जवारा जुलूस की वजह से देशभर में जाना जाता है. बिरसिंहपुर पाली स्थित प्रसिद्ध मां बिरासनी देवी मंदिर (Maa Birasani Devi Temple) में नवरात्र में शक्ति की उपासना पूरी होते ही मातारानी के दर पर बोए गये जवारा कलशों का विसर्जन (Jawara Kalash immersion) देखने लायक होता है. आपको बता दें कि पाली स्थित बिरासनी मंदिर शहडोल संभाग का सबसे प्रसिद्ध शक्तिपीठ है, जहां भव्य व ऐतिहासिक जवारा जुलूस निकाला जाता है. नवरात्र में शक्ति की उपासना व साधना में लीन में श्रद्धालु माता-बहनें जब जवारा कलश सिर पर रखकर मातारानी के दरबार से निकलती हैं, तो मानो शहर की सड़कों पर हरियाली छा गई है. लोगों का दावा है कि भारतवर्ष का यह इकलौता आयोजन है, जिसमें इतनी बड़ी तादात में जवारा कलश एक साथ निकाले जाते हैं.
जवारा कलशों का है खास महत्व
मातारानी के दर में जवारा कलशों के साथ ज्योति कलशों का भी खास महत्व है. मंदिर के पुजारी गोपाल पंडा की मानें तो देश ही नहीं बल्कि विदेश में रह रहे श्रृद्धालु भी मां के दर पर ज्योति और जवारा कलश स्थापित करते हैं और जलसे में शामिल होते हैं. जवारा जूलूस के दौरान मां काली का रूपधारण करे भक्त और देवी के भाव में झूमते श्रृद्धालुओं को देखकर लोग भावविभोर हो जाते हैं. यकीनन पूरा जलसा मां के भक्ति रस में डूबा दिखाई देता है. शहर की गलियां, चौराहे और घरों की छत के साथ ही ऊंची जगह चढ़कर हर आदमी इस नजारे की एक झलक पाने को लालायित रहता है.
विधायक मीना सिंह करती हैं ये काम
बिरासनी मां की प्रसिद्धि ऐसी की हर कोई जवारा जुलूस में शामिल होना चाहता है, फिर चाहे प्रशासन के लोग हों या फिर जनप्रतिनिधि. मां के इस अद्भुत जलसे में शामिल होकर कोई खुद के लिए तो कोई देश के कल्याण की मनोकामना करता है. जबकि स्थानीय विधायक मीना सिंह कहीं भी रहें, लेकिन जवारा जुलूस के दिन मां के दर्शन और जुलूस में शामिल होना निश्चित है.
इस बात ने बनाया खास
गौरतलब है कि पाली की बिरासनी मंदिर में स्थापित कलचुरी कालीन महिषासुर मर्दनि की भव्य प्रतिमा का इतिहास बड़ा रोचक है. जानकर बताते हैं कि यह प्रतिमा जमीन के नीचे दबी हुई थी, जिसे स्वप्न में देखने के बाद खुदाई कर स्थापित कराया गया था. लोग कहते हैं कि मूर्ति स्थापना के बाद से इलाका समृद्ध हुआ है.
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जवारा कलशों का है खास महत्व
मातारानी के दर में जवारा कलशों के साथ ज्योति कलशों का भी खास महत्व है. मंदिर के पुजारी गोपाल पंडा की मानें तो देश ही नहीं बल्कि विदेश में रह रहे श्रृद्धालु भी मां के दर पर ज्योति और जवारा कलश स्थापित करते हैं और जलसे में शामिल होते हैं. जवारा जूलूस के दौरान मां काली का रूपधारण करे भक्त और देवी के भाव में झूमते श्रृद्धालुओं को देखकर लोग भावविभोर हो जाते हैं. यकीनन पूरा जलसा मां के भक्ति रस में डूबा दिखाई देता है. शहर की गलियां, चौराहे और घरों की छत के साथ ही ऊंची जगह चढ़कर हर आदमी इस नजारे की एक झलक पाने को लालायित रहता है.

मां बिरासनी देवी मंदिर इस बात के लिए है मशहूर.
बिरासनी मां की प्रसिद्धि ऐसी की हर कोई जवारा जुलूस में शामिल होना चाहता है, फिर चाहे प्रशासन के लोग हों या फिर जनप्रतिनिधि. मां के इस अद्भुत जलसे में शामिल होकर कोई खुद के लिए तो कोई देश के कल्याण की मनोकामना करता है. जबकि स्थानीय विधायक मीना सिंह कहीं भी रहें, लेकिन जवारा जुलूस के दिन मां के दर्शन और जुलूस में शामिल होना निश्चित है.
इस बात ने बनाया खास
गौरतलब है कि पाली की बिरासनी मंदिर में स्थापित कलचुरी कालीन महिषासुर मर्दनि की भव्य प्रतिमा का इतिहास बड़ा रोचक है. जानकर बताते हैं कि यह प्रतिमा जमीन के नीचे दबी हुई थी, जिसे स्वप्न में देखने के बाद खुदाई कर स्थापित कराया गया था. लोग कहते हैं कि मूर्ति स्थापना के बाद से इलाका समृद्ध हुआ है.
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