T33 बाघ ने T62 बाघिन और शावक की ली जान, वन विभाग में खलबली

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व: बाघ ने बाघिन के साथ ही उसके एक शावक की जान ले ली
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में T62 बाघिन और उसके एक शावक की मौत हुई है. वन विभाग के अधिकारी इस बाघिन और शावक की मौत के पीछ T33 नामक बाघ को देख रहे हैं.
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated: July 31, 2019, 1:26 PM IST
हाल ही में मध्यप्रदेश बाघों की गणना में देश भर में अव्वल आया और अब बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एक बाघिन के साथ ही उसके शावक की मौत हो गई. इससे वन विभाग में खलबली मच गई है. मिली जानकारी के अनुसार बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में T62 बाघिन और उसके एक शावक की मौत हुई है. वन विभाग के अधिकारी इस बाघिन और शावक की मौत के पीछ T33 नामक बाघ को देख रहे हैं. वन अधिकारियों के अनुसार बाघ द्वारा हमला करने में ही बाघिन व उसके शावक की जान गई. जानकारी के अनुसार बाघिन अपने दो शावकों के साथ बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के कल्हवाह रेंज में शिकार तलाश रही थी. लेकिन इसी बीज T33 बाघ ने T62 बाघिन के साथ उसके दोनों शावकों पर हमला कर दिया. फिर तुरंत ही बाघिन और बाघ के बीच लड़ाई होने लगी. इस लड़ाई में बाघ ने बाघिन के साथ ही उसके एक शावक की जान ले ली. इस लड़ाई के बीच बाघिन का दूसरा शावक वहां से भाग गया. बाघिन के उस शावक को वन विभाग के कर्मियों ने खोज लिया है.
बता दें कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघिन की मौत का यह कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी यहां बाघ या बाघिन या फिर उसके शाव की मौत हुई है. लेकिन इस टाइगर रिजर्व के प्रबंधन द्वारा इस तरह की घटनाओं की जानकारी प्राय: नहीं दी जाती है. बता दें कि इस बार भी टाइगर रिजर्व प्रबंधन द्वारा T62 बाघिन और उसके शावक की मौत की जानकारी छुपाने की कोशिश की गई थी.
बता दें कि दो दिन पहले जब मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला तब यहां श्रेय लेने की राजनीति शुरू हो गई. बीजेपी ने टाइगर स्टेट का दर्जा मिलने का श्रेय लेते हुए एमपी की कमलनाथ सरकार पर आरोप लगाया कि वह बाघों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं हैं. बीजेपी का आरोप है कि कमलनाथ सरकार आने के बाद से अब तक राज्य में 15 से ज्यादा बाघों की मौत हो चुकी है.
1 अक्टूबर 2018 से 27 जून 2019 तक 23 बाघों की मौत
बीजेपी विधायक विश्वास सारंग की मानें तो कांग्रेस सरकार की गलत नीतियों की वजह से टाइगर स्टेट का दर्जा मध्य प्रदेश से छीन गया था. अब कांग्रस की मौजूदा सरकार भी उसी दिशा में आगे बढ़ रही है. दरअसल, कमलनाथ सरकार को घेरने के पीछे की वजह विश्वास सारंग की ओर से विधानसभा में बाघों की मौत को लेकर पूछे गए एक सवाल का वो जवाब है, जिसमें बाघों की मौत को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है.
आंकड़ों के मुताबिक 1 अक्टूबर 2018 से 27 जून 2019 तक मध्य प्रदेश में 23 बाघों की मौत हो चुकी है. इनमें से 3 बाघों की मौत शिकार की वजह से हुई जबकि 5 बाघों की मौत करंट लगने से हुई है. बाकी के बाघों की मौत आपसी लड़ाई या फिर प्राकृतिक कारणों से हुई. वहीं कांग्रेस नेता माणक अग्रवाल का कहना है कि प्रदेश में बीजेपी की सरकार अगर बाघों की सुरक्षा को लेकर गंभीर थी, तो टाइगर स्टेट का दर्जा मध्यप्रदेश को तब ही क्यों नहीं मिल गया था.
ये भी पढ़ें - देश में 13 सालों में बढ़कर दोगुना हुई बाघों की संख्या
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बता दें कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघिन की मौत का यह कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी यहां बाघ या बाघिन या फिर उसके शाव की मौत हुई है. लेकिन इस टाइगर रिजर्व के प्रबंधन द्वारा इस तरह की घटनाओं की जानकारी प्राय: नहीं दी जाती है. बता दें कि इस बार भी टाइगर रिजर्व प्रबंधन द्वारा T62 बाघिन और उसके शावक की मौत की जानकारी छुपाने की कोशिश की गई थी.
बता दें कि दो दिन पहले जब मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला तब यहां श्रेय लेने की राजनीति शुरू हो गई. बीजेपी ने टाइगर स्टेट का दर्जा मिलने का श्रेय लेते हुए एमपी की कमलनाथ सरकार पर आरोप लगाया कि वह बाघों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं हैं. बीजेपी का आरोप है कि कमलनाथ सरकार आने के बाद से अब तक राज्य में 15 से ज्यादा बाघों की मौत हो चुकी है.

बीजेपी का आरोप है कि कमलनाथ सरकार आने के बाद से अब तक राज्य में 15 से ज्यादा बाघों की मौत हो चुकी है.
बीजेपी विधायक विश्वास सारंग की मानें तो कांग्रेस सरकार की गलत नीतियों की वजह से टाइगर स्टेट का दर्जा मध्य प्रदेश से छीन गया था. अब कांग्रस की मौजूदा सरकार भी उसी दिशा में आगे बढ़ रही है. दरअसल, कमलनाथ सरकार को घेरने के पीछे की वजह विश्वास सारंग की ओर से विधानसभा में बाघों की मौत को लेकर पूछे गए एक सवाल का वो जवाब है, जिसमें बाघों की मौत को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है.
आंकड़ों के मुताबिक 1 अक्टूबर 2018 से 27 जून 2019 तक मध्य प्रदेश में 23 बाघों की मौत हो चुकी है. इनमें से 3 बाघों की मौत शिकार की वजह से हुई जबकि 5 बाघों की मौत करंट लगने से हुई है. बाकी के बाघों की मौत आपसी लड़ाई या फिर प्राकृतिक कारणों से हुई. वहीं कांग्रेस नेता माणक अग्रवाल का कहना है कि प्रदेश में बीजेपी की सरकार अगर बाघों की सुरक्षा को लेकर गंभीर थी, तो टाइगर स्टेट का दर्जा मध्यप्रदेश को तब ही क्यों नहीं मिल गया था.
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