एनआईए सूत्रों के मुताबिक उमेश कोल्हे हत्याकांड के आरोपियों की हिटलिस्ट में कई और नाम शामिल थे. (ANI Photo)
मुंबई: अमरावती हत्याकांड के आरोपियों से पूछताछ में एनआईए को एक ऐसी हिटलिस्ट की जानकारी मिली है, जिन्हें ये मौत के घाट उतारने की साजिश रच रहे थे. एनआईए सूत्रों के मुताबिक इस हिटलिस्ट में सबसे पहला नाम गाजियाबाद के शिव शक्तिधाम डासना मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद का है, जबकि दूसरा नाम नूपुर शर्मा का. उमेश कोल्हे की हत्या महज एक शुरुआत थी. सूत्रों के मुताबिक हत्या के लिए ‘वुल्फ अटैक’ की रणनीति अपनाई गई थी. यानि की भेड़िया जिस तरह अपने शिकार के गले पर वारकर उसे दबोचता है और मौत के घाट उतारता है, ठीक उसी तरह हत्या को अंजाम देने की रणनीति इन्होंने बनाई थी.
एनआईए सूत्रों के मुताबिक इस संगठन का जन्म ही यति नरसिंहानंद की भड़काऊ बयानबाजी की वजह से हुआ था. सूत्रों के मुताबिक पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि ये सभी इस्लाम को पाक धर्म मानते हैं, जिसमें कोई बुराई नहीं है. 2020 के दिल्ली दंगों से पहले यति नरसिंहानंद द्वारा इस्लाम और अल्लाह को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. इसकी वजह से आरोपियों में रोष बढ़ने लगा. उसके बाद ही ये सभी आरोपी पहली बार एक कट्टरपंथी सोच के साथ संगठन के रूप में आए. आरोपी इरफान शेख ने अपने एनजीओ की आड़ में इस संगठन को चलाना शुरू किया, जिसमें आरोपी आदिब रशीद, अब्दुल तौफीक, मुद्दसर, शाहरुख, शोएब खान, आरोपी डॉक्टर यूसुफ खान, और फरार आरोपी शमीम साथ आए.
यति नरसिंहानंद को मौत के घाट उतारने की साजिश भी आरोपियों ने रची थी
तय हुआ की इस्लाम के खिलाफ और अल्लाह के खिलाफ जहर उगलनेवालों की पहचान करके उन्हें सबक सिखाया जाएगा. सबक ऐसा हो कि फिर कोई अल्लाह और इस्लाम को बदनाम नहीं कर सके. सूत्रों के मुताबिक यति नरसिंहानंद को मौत के घाट उतारने की साजिश भी आरोपियों ने रची थी, लेकिन अमरावती से गाजियाबाद जाना, फंड की कमी, बैकअप सपोर्ट में किसी बड़े ऑर्गेनाइजेशन का न होना, मुसलमानों के लिए प्रतिबंधित शिव शक्तिधाम डासना मंदिर के अंदर पुलिस बंदोबस्त के बीच दाखिल होना, आरोपियों को वास्तविक रूप से संभव नहीं लगा. इसी बजह से तय किया गया कि डॉक्टर यूसुफ खान सोशल मीडिया पर नजर रखे और उन लोगों को चिन्हित करे जो इस्लाम विरोधी या अल्लाह के खिलाफ बयान दे रहे हैं.
आरोपियों की प्लानिंग थी कि चिन्हित किए गए लोगों से वक्त आने पर चुन चुनकर बदला लिया जाएगा. हिजाब, नकाब विवाद के बीच मे ही नूपुर शर्मा का पैगम्बर मोहम्मद को लेकर बयान आया, जिसके बाद वह भी आरोपियों की इस हिटलिस्ट में शामिल कर ली गई. एएनआई सूत्रों के मुताबिक इन सब के बीच इरफान शेख अपने एनजीओ की आड़ में एक बैकअप सपोर्ट के लिए बड़े ऑर्गेनाइजेशन की तलाश में जुटा हुआ था…और उन्हें पीएफआई के सपोर्ट की उम्मीद जगने लगी…जिसके चलते इरफान कुछ संदिग्ध लोगों से भी सम्पर्क में बना था. आरोपियों के मुताबिक उमेश कोल्हे की हत्या उनकी योजना का बस आगाज था.
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