29 सितंबर 2008 को मालेगांव में मस्जिद के पास मोटरसाइकिल में छिपाकर रखे गए विस्फोटक में हुए धमाके से छह लोगों की मौत हो गई थी और करीब 100 लोग घायल हुए थे. (File Photo)
मुंबई. महाराष्ट्र में 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले (Malegaon Blast Case) में भगोड़े आरोपी का एक रिश्तेदार बुधवार को यहां बयान से मुकर गया. वह इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से पक्षद्रोही घोषित होने वाला 31वां गवाह बन गया है. इस मामले में भोपाल से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर प्रमुख आरोपी हैं. गवाह ने महाराष्ट्र पुलिस के आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) को दिए अपने बयान में कथित तौर पर कहा था कि यह फरार आरोपी कई मौकों पर प्रज्ञा ठाकुर से मिला था.
गवाह ने कथित तौर पर जांच एजेंसी को यह भी बताया था कि उसने फरार आरोपी को एक मोटरसाइकिल पर सवार होते हुए देखा था जो कथित तौर पर प्रज्ञा ठाकुर की थी. जांच एजेंसी ने दावा किया था कि यह मोटरसाइकिल विस्फोट स्थल पर मिली थी.
अब तक 306 गवाहों की हो चुकी है जांच
लेकिन बुधवार को अपने बयान के दौरान गवाह ने अदालत को बताया कि उसके ये बयान सच नहीं थे. जिसके बाद अदालत ने उसे पक्षद्रोही घोषित कर दिया. अदालत इस मामले में अब तक 306 गवाहों की जांच कर चुकी है.
ये भी पढ़ें- पीएम मोदी के फैसले की वजह से जम्मू-कश्मीर ने अच्छे के लिए बदलाव देखा है, LG मनोज सिन्हा ने कहा
पुरोहित को आरोपमुक्त करने संबंधी याचिका SC ने की खारिज
वहीं इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरोप मुक्त किए जाने का अनुरोध करने वाली लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित की याचिका खारिज कर दी है. बंबई उच्च न्यायालय ने आरोप मुक्त करने का अनुरोध करने वाली पुरोहित की याचिका दो जनवरी को खारिज कर दी थी. पुरोहित ने इस फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी.
न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. पीठ ने कहा, ‘‘उच्च न्यायालय के जिस आदेश को चुनौती दी गई है, उसमें कहा गया है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता) की धारा 197 (2) के तहत मंजूरी की आवश्यकता नहीं है क्योंकि उन पर लगाए गए आरोप उनके किसी भी आधिकारिक कर्तव्यों से संबंधित नहीं है.’’
इसमें कहा गया है, ‘‘ (उच्च न्यायालय के) आदेश के आधार पर गौर करने के बाद हमें इसमें हस्तक्षेप करने का कोई कारण नजर नहीं आता और इसलिए विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई नहीं होगी.’’
2008 में हुआ था ब्लास्ट
शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि निचली अदालतों को उच्च न्यायालय के आदेश की टिप्पणियों से प्रभावित नहीं होना चाहिए. पुरोहित ने खुद को आरोप मुक्त किए जाने की अपील करते हुए दावा किया था कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सीआरपीसी के संबंधित प्रावधानों के तहत मंजूरी नहीं ली गई है.
गौरतलब है कि 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में मस्जिद के पास मोटरसाइकिल में छिपाकर रखे गए विस्फोटक में हुए धमाके से छह लोगों की मौत हो गई थी और करीब 100 लोग घायल हुए थे. महाराष्ट्र के नासिक जिला स्थित मालेगांव सांप्रादायिक रूप से संवेदनशील शहर है.
.
Tags: Malegaon Blast, Pragya Singh Thakur