मुंबई. महाराष्ट्र में गुरुवार को होने वाले शक्ति परीक्षण (फ्लोर टेस्ट) को देखते हुए मुम्बई पुलिस को अलर्ट पर रखा गया है. पुलिस ने शिवसेना के कार्यकर्ताओं को नोटिस देना भी शुरू कर दिया है. नोटिस के मुताबिक पूरे मुम्बई में धारा 144 लागू है और 5 से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर मनाही है, ऐसे में अगर कानून-व्यवस्था खराब होती है, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने महाराष्ट्र विधानसभा के सचिव से बृहस्पतिवार को पूर्वाह्न 11 बजे उद्धव ठाकरे नीत सरकार का शक्ति परीक्षण कराने को कहा है.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, मुंबई पुलिस ने कहा, “शक्ति परीक्षण के मद्देनजर एकनाथ शिंदे समूह के गुरुवार को मुंबई पहुंचने की खबरों के बीच मुंबई पुलिस अलर्ट पर है. एनसीपी, शिवसेना, कांग्रेस, भाजपा, सपा नेताओं को नोटिस भेजा गया है कि वे भड़काऊ बयान न दें या आपत्तिजनक पोस्ट जारी न करें. स्थिति बिगड़ने पर कड़ी कार्रवाई.”
शक्ति परीक्षण कराने का राज्यपाल का निर्देश असंवैधानिक : शिवसेना
इस बीच, शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय में आरोप लगाया कि उद्धव ठाकरे नीत महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार को बृहस्पतिवार को विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने का महाराष्ट्र के राज्यपाल का निर्देश ‘दुर्भावनापूर्ण, असंवैधानिक और अवैध’ है. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष उस याचिका का उल्लेख किया गया जिसमें राज्यपाल के निर्देश को चुनौती दी गई है.
शिवसेना ने बताया, अनुच्छेद 14 का उल्लंघन’
याचिका में दलील दी गई है कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने 28 जून, 2022 (जो आज यानी 29 जून को सुबह करीब नौ बजे मिला) के पत्र के जरिए इस तथ्य की पूरी अवहेलना करते हुए शक्ति परीक्षण कराने का फैसला किया कि यह अदालत कुछ विधायकों की अयोग्यता संबंधी कार्यवाही के मुद्दे पर विचार कर रही है. याचिका में यह भी दलील दी गई है, “इस तरह की अनुचित जल्दबाजी स्पष्ट रूप से मनमानी और अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है.’
याचिका में राज्यपाल के निर्देश को रद्द करने का अनुरोध
याचिका में राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री के साथ ही विधानसभा के सचिव को भेजे गए निर्देश को रद्द करने का अनुरोध किया गया है. शिवसेना की याचिका में कहा गया है कि यह न्यायालय विधायकों की अयोग्यता संबंधी कार्यवाही की वैधता पर गौर कर रहा है और मामले में 11 जुलाई, 2022 को सुनवाई होनी है. अयोग्यता का मुद्दा शक्ति परीक्षण के मुद्दे से सीधे तौर पर जुड़ा है. प्रभु ने अपनी याचिका में दलील दी कि मुख्यमंत्री नीत मंत्रिपरिषद के परामर्श और सलाह के बिना ऐसे निर्देश जारी नहीं किए जाने चाहिए थे.
(इनपुट भाषा से भी)
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