कोरोनाः मुंबई-पुणे के बाद महाराष्ट्र में अबकी बार विदर्भ बना संक्रमण का गढ़

पिछले सप्ताह अमरावती के चार कोरोना मरीजों की जीनोम सीक्वेंसिंग में वायरस के म्यूटेशन (E484Q) का पता चला. फाइल फोटो
Covid-19 in Vidarbha: यवतमाल के सरकारी अस्पताल के डीन मिलिंद कांबले ने कहा कि सितंबर में कोरोना संक्रमण की स्थिति और मौजूदा हालात में अंतर सिर्फ इतना है कि इस बार पूरा परिवार संक्रमित पाया जा रहा है.
- News18Hindi
- Last Updated: February 23, 2021, 5:36 PM IST
नई दिल्ली. यवतमाल, अकोला, अमरावती और वर्धा... ये महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के जिले हैं और यहां कोरोना वायरस संक्रमण की हालत उतनी ही बुरी है, जितनी कि पांच महीने पहले सितंबर महीने में थी. फरवरी महीने में महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों की एक बड़ी वजह विदर्भ में संक्रमण का तेजी से बढ़ना भी है. महाराष्ट्र के विशेषज्ञों का कहना है कि अगर पुणे और मुंबई के चलते सितंबर महीने में महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के मामले बढ़े तो फरवरी में कोरोना के बढ़ते मामलों के पीछे विदर्भ में संक्रमण का फैलाव है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक यवतमाल में रविवार को संक्रमण की दर 15 सितंबर के मुकाबले 41.4 प्रतिशत ज्यादा थी. इसी तरह अमरावती में संक्रमण के मामले 38 फीसदी है. सितंबर में अमरावती में संक्रमण की दर 32.5 प्रतिशत थी. इसी तरह वर्धा में संक्रमण की दर 24 प्रतिशत है, जोकि सितंबर में संक्रमण की दर 8.5 प्रतिशत से तीन गुना ज्यादा है. अकोला में संक्रमण की दर 29 फीसद है और ये सितंबर 2020 के मुकाबले ज्यादा है. अकोला में सितंबर के मुकाबले फरवरी में दो गुनी टेस्टिंग हो रही है.
15 सितंबर 2020 रहा सबसे बुरा दिन
राज्य सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के मामले 10 से 30 सितंबर के बीच बढ़े. राज्य प्रशासन ने आंकड़ों की तुलना करने के लिए 15 सितंबर 2020 का दिन चुना, जोकि संक्रमण के लिहाज से महाराष्ट्र के लिए सबसे बुरा दिन था. विदर्भ के 11 में से 6 जिलों में संक्रमण की दर बहुत ज्यादा है, जोकि राज्य की मौजूदा संक्रमण दर के मुकाबले तीन से 4 गुना ज्यादा है. रविवार को राज्य में संक्रमण की दर 11 फीसद रही, जोकि जनवरी में इसकी आधी थी. DMER (डायरेक्टरेट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च) के हेड डॉक्टर टीपी लहाने ने कहा कि पिछले दो हफ्ते से मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने के मामलों में 20 से 30 फीसदी का उछाल देखने को मिला है.यवतमाल और अमरावती में मिले म्यूटेशन
उन्होंने कहा, "यवतमाल के सरकारी मेडिकल कॉलेज में मरीजों के भर्ती होने की संख्या 71 से मध्य फरवरी के बीच 138 पहुंच गई जबकि फरवरी के आखिर सप्ताह तक 200 के पार पहुंच गई है. हालांकि गंभीर मामलों की संख्या कम है." पिछले सप्ताह अमरावती के चार कोरोना मरीजों की जीनोम सीक्वेंसिंग में वायरस के म्यूटेशन (E484Q) का पता चला, वहीं यवतमाल जिले के चार मरीजों में N440K म्यूटेशन पाया गया है. लहाने ने कहा कि मरीजों के सैंपल की जांच हो रही है, ताकि ये पता लगाया जा सके कि कहीं कोरोना वायरस संक्रमण बढ़ने के पीछे म्यूटेशन तो नहीं है.
सितंबर और फरवरी के संक्रमण में 'अंतर'
यवतमाल के सरकारी अस्पताल के डीन मिलिंद कांबले ने कहा कि सितंबर में कोरोना संक्रमण की स्थिति और मौजूदा हालात में अंतर सिर्फ इतना है कि इस बार पूरा परिवार संक्रमित पाया जा रहा है. उन्होंने कहा, "हमारे पास कम से कम 6 परिवार ऐसे हैं, जिनके सभी सदस्य मौजूदा वक्त में अस्पताल में भर्ती हैं." कांबले ने कहा कि अभी 221 मरीज अस्पताल में भर्ती हैं और इनमें से 95 की हालत गंभीर है. गंभीर मरीजों को न्यूमोनिया, फेफड़े में दिक्कत है. हालांकि ज्यादातर ने अस्पताल आने में 10 से 12 दिन की देरी की. उन्होंने कहा कि अस्पताल में ऑक्सीजन की जरूरत 15 जनवरी के बाद बढ़ती गई है.
अकोला के जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर सुरेश असोले ने कहा कि हमारे पास सितंबर 2020 के मुकाबले फरवरी में ज्यादा मामले हैं. हालांकि ज्यादातर मरीजों की हालत स्थिर है और इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है. दूसरी ओर विदर्भ के इन जिलों में टेस्टिंग के आंकड़े को देखें तो 15 सितंबर को राज्य में 94 हजार 608 मरीजों का कोरोना वायरस टेस्ट किया गया था.

वहीं 21 फरवरी को राज्य में सिर्फ 48 हजार 141 लोगों ने वायरस संक्रमण की जांच करवाई.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक यवतमाल में रविवार को संक्रमण की दर 15 सितंबर के मुकाबले 41.4 प्रतिशत ज्यादा थी. इसी तरह अमरावती में संक्रमण के मामले 38 फीसदी है. सितंबर में अमरावती में संक्रमण की दर 32.5 प्रतिशत थी. इसी तरह वर्धा में संक्रमण की दर 24 प्रतिशत है, जोकि सितंबर में संक्रमण की दर 8.5 प्रतिशत से तीन गुना ज्यादा है. अकोला में संक्रमण की दर 29 फीसद है और ये सितंबर 2020 के मुकाबले ज्यादा है. अकोला में सितंबर के मुकाबले फरवरी में दो गुनी टेस्टिंग हो रही है.
15 सितंबर 2020 रहा सबसे बुरा दिन
राज्य सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के मामले 10 से 30 सितंबर के बीच बढ़े. राज्य प्रशासन ने आंकड़ों की तुलना करने के लिए 15 सितंबर 2020 का दिन चुना, जोकि संक्रमण के लिहाज से महाराष्ट्र के लिए सबसे बुरा दिन था. विदर्भ के 11 में से 6 जिलों में संक्रमण की दर बहुत ज्यादा है, जोकि राज्य की मौजूदा संक्रमण दर के मुकाबले तीन से 4 गुना ज्यादा है. रविवार को राज्य में संक्रमण की दर 11 फीसद रही, जोकि जनवरी में इसकी आधी थी. DMER (डायरेक्टरेट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च) के हेड डॉक्टर टीपी लहाने ने कहा कि पिछले दो हफ्ते से मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने के मामलों में 20 से 30 फीसदी का उछाल देखने को मिला है.यवतमाल और अमरावती में मिले म्यूटेशन
उन्होंने कहा, "यवतमाल के सरकारी मेडिकल कॉलेज में मरीजों के भर्ती होने की संख्या 71 से मध्य फरवरी के बीच 138 पहुंच गई जबकि फरवरी के आखिर सप्ताह तक 200 के पार पहुंच गई है. हालांकि गंभीर मामलों की संख्या कम है." पिछले सप्ताह अमरावती के चार कोरोना मरीजों की जीनोम सीक्वेंसिंग में वायरस के म्यूटेशन (E484Q) का पता चला, वहीं यवतमाल जिले के चार मरीजों में N440K म्यूटेशन पाया गया है. लहाने ने कहा कि मरीजों के सैंपल की जांच हो रही है, ताकि ये पता लगाया जा सके कि कहीं कोरोना वायरस संक्रमण बढ़ने के पीछे म्यूटेशन तो नहीं है.
सितंबर और फरवरी के संक्रमण में 'अंतर'
यवतमाल के सरकारी अस्पताल के डीन मिलिंद कांबले ने कहा कि सितंबर में कोरोना संक्रमण की स्थिति और मौजूदा हालात में अंतर सिर्फ इतना है कि इस बार पूरा परिवार संक्रमित पाया जा रहा है. उन्होंने कहा, "हमारे पास कम से कम 6 परिवार ऐसे हैं, जिनके सभी सदस्य मौजूदा वक्त में अस्पताल में भर्ती हैं." कांबले ने कहा कि अभी 221 मरीज अस्पताल में भर्ती हैं और इनमें से 95 की हालत गंभीर है. गंभीर मरीजों को न्यूमोनिया, फेफड़े में दिक्कत है. हालांकि ज्यादातर ने अस्पताल आने में 10 से 12 दिन की देरी की. उन्होंने कहा कि अस्पताल में ऑक्सीजन की जरूरत 15 जनवरी के बाद बढ़ती गई है.
अकोला के जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर सुरेश असोले ने कहा कि हमारे पास सितंबर 2020 के मुकाबले फरवरी में ज्यादा मामले हैं. हालांकि ज्यादातर मरीजों की हालत स्थिर है और इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है. दूसरी ओर विदर्भ के इन जिलों में टेस्टिंग के आंकड़े को देखें तो 15 सितंबर को राज्य में 94 हजार 608 मरीजों का कोरोना वायरस टेस्ट किया गया था.
वहीं 21 फरवरी को राज्य में सिर्फ 48 हजार 141 लोगों ने वायरस संक्रमण की जांच करवाई.