मुंबई. महाराष्ट्र के कार्यवाहक डीजीपी संजय पांडे (DGP Sanjay Pandey) और मुंबई पुलिस कमिश्नर हेमंत नागराले (Hemant Nagrale) के बीच मतभेद अब जगजाहिर हो चुके हैं. मामला तब सामने आया जब महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण (MAT) में मुंबई पुलिस के 187 कर्मियों को दिसंबर में डीजीपी द्वारा स्थानांतरण किये जाने की सुनवाई चल रही थी. सुनवाई के दौरान कमिश्नर और डीजीपी के बीच असहमति नजर आई. 24 जनवरी को एमएटी ने पांडे से 31 जनवरी तक हलफनामा दायर करने के लिए कहा है, जिसमें बताया जाए कि बगैर किसी विकल्प और नागराले की सलाह के, 187 पुलिसवालों का स्थानांतरण करने के पीछे उनकी क्या मजबूरी थी. दरअसल महाराष्ट्र में मुंबई पुलिस कमिश्नर सीधे सरकार को रिपोर्ट करता है, वहीं बाकी पूरा राज्य डीजीपी को रिपोर्ट करता है.
दरअसल 187 पुलिसकर्मी जिनका स्थानांतरण डीजीपी ने कर दिया था, लेकिन नागराले ने उन्हें जाने के आदेश नहीं दिए थे, जिसके बाद पुलिसकर्मियों ने एमएटी में जाने का फैसला किया. इन तमाम पुलिसकर्मियों का 17 दिसंबर, 2021 को डीजीपी ने तबादला कर दिया था, लेकिन मुंबई पुलिस आयुक्तालय से इन्हें मुक्त नहीं किया गया था. स्थानांतरण के आदेश में लिखा गया है कि 269 पुलिसकर्मियों को अनुरोध पर तबादला दिया गया है.
डीजीपी ने किया स्थानांतरण, नागराले ने मुक्त नहीं किया
डीजीपी पांडे के कमिश्नर को बगैर बताए और विकल्प के स्थानांतरण के आदेश दिए जाने को लेकर कमिश्नर ने राज्य के गृह विभाग में 30 दिसंबर 2021 को शिकायत की थी. इस मामले को लेकर पुलिस विभाग ने आपत्ति जताते हुए कहा कि कोविड-19 के चलते और शासन व्यवस्था को संभालने के लिए पुलिस वालों की कमी थी, जिनका तबादला किया गया है, लेकिन विभाग ने उन्हें छोड़ा नहीं है, उन्हें भी यह कहा गया है कि उनका विकल्प मिलने के बाद उन्हें मुक्त किया जाएगा या अप्रैल में होने वाले सामान्य तबादलों के दौरान उनका स्थानांतरण किया जाएगा.
अधिकारियों के बीच समन्वय की भारी कमी
तबादलों का फैसला लेने वाले पुलिस स्थापना बोर्ड (पीईबी) के मिनिट्स जिसे एमएटी को सौंपा गया था, उसमें पाया गया कि आदेश में नागराले और अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) के हस्ताक्षर नहीं थे. जिससे यह पता चलता है कि मुंबई पुलिस ने प्रशासनिक दिक्कतों को दरकिनार करते हुए तबादले के आदेश दिए जो पीईबी की मनमानी को दिखाता है. एमएटी का यह भी कहना है कि 187 पुलिसकर्मियों के अनुरोध को बगैर किसी विचार के स्वीकार किया जाना बताता है कि अधिकारियों के बीच समन्वय की भारी कमी थी. आदेश में यह भी कहा गया कि नागराले की शिकायत पर विचार किया जाना चाहिए.
आदेश पर क्या कहा एमएटी ने
हालांकि आगे एमएटी ने यह भी कहा कि जब डीजीपी जो पुलिस कमिश्नर से ऊपर हैं उन्होंने महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम की धारा 22 (2) के तहत आदेश पारित कर दिए थे तो कमिश्नर को उसे लागू करना था. साथ ही महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण (एमएटी) ने प्रस्तुत अधिकारी को यह बताने का निर्देश भी दिया कि आखिर डीजीपी के आदेश देने के बावजूद कमिश्नर ने उसकी अवहेलना क्यों की.
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Tags: Maharashtra, Mumbai police
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