मालेगांव विस्फोट मामलाः बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर को कोर्ट में पेशी से छूट मिली

न्यायाधीश सित्रे ने ठाकुर की याचिका पर गौर किया और उन्हें नियमित रूप से अदालत में पेश होने से छूट दे दी. फाइल फोटो
Malegaon Blast Case: मामले की सुनवाई पिछले साल मार्च में कोविड-19 के कारण लगाए गए लॉकडाउन की वजह से रूक गई थी. पिछले महीने एनआईए की विशेष अदालत ने सुनवाई फिर से शुरू की थी. अबतक 400 में से करीब 140 गवाहों से जिरह की जा चुकी है.
- News18Hindi
- Last Updated: January 5, 2021, 10:29 PM IST
मुंबई. एनआईए (NIA) की एक विशेष अदालत ने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले (Malegaon Blast Case) में बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर (Pragya Singh Thakur) को अदालत में नियमित रूप से पेश होने से मंगलवार को छूट दे दी. ठाकुर इस मामले के सात आरोपियों में एक हैं. राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (National Investigation Agency) इस मामले की जांच कर रहा है. वह सोमवार को अदालत में पेश हुई थीं. विशेष न्यायाधीश पीआर सित्रे ने मंगलवार को ठाकुर को अदालत में पेशी से छूट दे दी. इससे पहले उनके वकील जेपी मिश्रा ने आवेदन दायर कर कहा था कि सांसद को स्वास्थ्य और सुरक्षा कारणों से नियमित रूप से यहां आने में दिक्कत होती है.
भाषा के मुताबिक वकील ने आवेदन में कहा, "ठाकुर को कई बीमारियां हैं और एम्स में उनका उपचार चल रहा है. वह (कल) मुंबई में थीं और इस दौरान कोकिलाबेन अस्पताल में उनकी कई जांच हुईं, डॉक्टरों ने उनसे कहा कि उन्हें कई जटिलताएं हैं और उनका उपचार किए जाने की जरूरत है." मिश्रा ने कहा कि भोपाल से बीजेपी सांसद ठाकुर को "जान का खतरा" है. इसलिए मध्य प्रदेश सरकार ने उनकी सुरक्षा के लिए छह सशस्त्र कर्मी उपलब्ध कराएं हैं.
वकील ने बताया कि उनके अलावा, दो निजी सहायक भी उनके साथ रहते हैं. इसलिए उन्हें इन सभी सुरक्षा कर्मियों को साथ लेकर चलने में बहुत दिक्कत होती है. ठाकुर ने अन्य कारण बताते हुए कहा कि वह संसद की सदस्य हैं और उनकी अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के प्रति जिम्मेदारी है. विशेष लोक अभियोजक अविनाश रसल ने बताया कि न्यायाधीश सित्रे ने ठाकुर की याचिका पर गौर किया और उन्हें नियमित रूप से अदालत में पेश होने से छूट दे दी. साथ ही उनसे कहा कि जब भी जरूरत पड़ेगी, उन्हें अदालत में हाजिर होना होगा.
इससे पहले अदालत में कई बार पेश नहीं होने के बाद ठाकुर सोमवार को न्यायाधीश के समक्ष हाजिर हुई थीं. न्यायाधीश सित्रे ने 19 दिसंबर 2020 को ठाकुर को अदालत के समक्ष पेश होने के लिए "अंतिम मौका" दिया था. न्यायाधीश ने पिछले महीने दो बार उनके अदालत में हाजिर नहीं होने पर नाखुशी जाहिर की थी. ठाकुर जून 2019 में अदालत में पेश हुई थी, क्योंकि अदालत का आदेश था कि सातों आरोपी हफ्ते में एक बार अदालत में पेश हों. उसके बाद से वह अलग-अलग मौकों पर अदालत में पेश होने से छूट मांगती रही.
मामले में छह अन्य आरोपियों में लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, समीर कुलकर्णी, रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, अजय राहिरकर और सुधारकर द्विवेदी शामिल हैं. मामले की सुनवाई पिछले साल मार्च में कोविड-19 के कारण लगाए गए लॉकडाउन की वजह से रूक गई थी. पिछले महीने एनआईए की विशेष अदालत ने सुनवाई फिर से शुरू की थी. अबतक 400 में से करीब 140 गवाहों से जिरह की जा चुकी है.
उत्तर महाराष्ट्र के मालेगांव की एक मस्जिद के पास 29 सितंबर 2008 को एक बाइक पर बंधे विस्फोटक में धमाका हुआ था, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 अन्य जख्मी हो गए थे.

अदालत ने अक्टूबर 2018 में पुरोहित, ठाकुर और पांच अन्य के खिलाफ आतंकवाद के आरोप तय कर दिए थे.
भाषा के मुताबिक वकील ने आवेदन में कहा, "ठाकुर को कई बीमारियां हैं और एम्स में उनका उपचार चल रहा है. वह (कल) मुंबई में थीं और इस दौरान कोकिलाबेन अस्पताल में उनकी कई जांच हुईं, डॉक्टरों ने उनसे कहा कि उन्हें कई जटिलताएं हैं और उनका उपचार किए जाने की जरूरत है." मिश्रा ने कहा कि भोपाल से बीजेपी सांसद ठाकुर को "जान का खतरा" है. इसलिए मध्य प्रदेश सरकार ने उनकी सुरक्षा के लिए छह सशस्त्र कर्मी उपलब्ध कराएं हैं.
वकील ने बताया कि उनके अलावा, दो निजी सहायक भी उनके साथ रहते हैं. इसलिए उन्हें इन सभी सुरक्षा कर्मियों को साथ लेकर चलने में बहुत दिक्कत होती है. ठाकुर ने अन्य कारण बताते हुए कहा कि वह संसद की सदस्य हैं और उनकी अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के प्रति जिम्मेदारी है. विशेष लोक अभियोजक अविनाश रसल ने बताया कि न्यायाधीश सित्रे ने ठाकुर की याचिका पर गौर किया और उन्हें नियमित रूप से अदालत में पेश होने से छूट दे दी. साथ ही उनसे कहा कि जब भी जरूरत पड़ेगी, उन्हें अदालत में हाजिर होना होगा.
इससे पहले अदालत में कई बार पेश नहीं होने के बाद ठाकुर सोमवार को न्यायाधीश के समक्ष हाजिर हुई थीं. न्यायाधीश सित्रे ने 19 दिसंबर 2020 को ठाकुर को अदालत के समक्ष पेश होने के लिए "अंतिम मौका" दिया था. न्यायाधीश ने पिछले महीने दो बार उनके अदालत में हाजिर नहीं होने पर नाखुशी जाहिर की थी. ठाकुर जून 2019 में अदालत में पेश हुई थी, क्योंकि अदालत का आदेश था कि सातों आरोपी हफ्ते में एक बार अदालत में पेश हों. उसके बाद से वह अलग-अलग मौकों पर अदालत में पेश होने से छूट मांगती रही.
मामले में छह अन्य आरोपियों में लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, समीर कुलकर्णी, रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, अजय राहिरकर और सुधारकर द्विवेदी शामिल हैं. मामले की सुनवाई पिछले साल मार्च में कोविड-19 के कारण लगाए गए लॉकडाउन की वजह से रूक गई थी. पिछले महीने एनआईए की विशेष अदालत ने सुनवाई फिर से शुरू की थी. अबतक 400 में से करीब 140 गवाहों से जिरह की जा चुकी है.
उत्तर महाराष्ट्र के मालेगांव की एक मस्जिद के पास 29 सितंबर 2008 को एक बाइक पर बंधे विस्फोटक में धमाका हुआ था, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 अन्य जख्मी हो गए थे.
अदालत ने अक्टूबर 2018 में पुरोहित, ठाकुर और पांच अन्य के खिलाफ आतंकवाद के आरोप तय कर दिए थे.