अगर तीसरी लहर आती है, तो शहर में मरीजों के अस्पताल में भर्ती किए जाने की प्रक्रिया में बदलाव देखने को मिल सकता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
मुंबई. कोविड की दोनों लहरों में महाराष्ट्र (Maharashtra Covid-19 Cases) ने काफी तबाही झेली है. इस बार देश की आर्थिक राजधानी ने तीसरी लहर के आने से पहले से ही योजनाओं पर काम करना शुरू कर दिया है. उसी के चलते कुछ अहम बदलाव सामने आए हैं. अगर तीसरी लहर आती है, तो शहर में मरीजों के अस्पताल में भर्ती किए जाने की प्रक्रिया में बदलाव देखने को मिल सकता है. इसके लिए बृह्नमुंबई म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन ने एक विस्तृत योजना तैयार की है जिसके तहत सबसे पहले जंबो (बड़े) अस्पताल सक्रिय किए जाएंगे, इसी दौरान मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों को तैयार किया जाएगा अगर फील्ड अस्पताल भर जाते हैं तो इनका इस्तेमाल किया जा सके.
पहले आई दो लहरों से नगरीय इकाइयों ने ये सबक लिया है कि जब कोविड के मामले बड़ रहे हों उस दौरान गैर कोविड सेवाएं बाधित नहीं होना चाहिए. विचार ये है कि मेडकिल कॉलेज जैसे एलटीएमजी, केइएम, नायर और आर एन कूपर दूसरी बीमारियों का इलाज संभालेंगे.
जंबो सेंटर ऐसे करेंगे काम
वहीं जंबो सेंटर जैसे गोरेगांव का नेस्को और रिचर्डसन और बायकला का क्रुड्डास मरोल में कोरोना को समर्पित सेवन हिल्स अस्पताल शुरुआती भार को वहन करेंगे साथ ही जब मामले बढ़ने लगेंगे तब भी स्थिति को संभालेंगे. एक बार जब ये केंद्र 50 फीसद तक भर जाएंगे तो मुलुंड और बीकेसी के जंबो को आईसीयू के लिए सक्रिय किया जाएगा. दहिसर में मौजूद जंबो जिसमें 100 बिस्तर हैं उसे सबसे आखिर में सक्रिय किया जाएगा.
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अतिरिक्त नगरनिगम आयुक्त सुरेश ककानी का कहना है कि दूसरी लहर के दौरान ये देखा गया कि शहर इन जंबो पर बहुत निर्भर करता है. उन्होंने कहा कि कुछ मरीजों को मेडिकल क़ॉलेज से जंबो में शिफ्ट किया गया था, जिससे मेडिकल कॉलेज का वजन हल्का किया जा सके, ये तरीका कारगर भी साबित हुआ था, अब जंबो पर ज्यादा ध्यान देना चाहते हैं जिससे मेडिकल कॉलेज को दूसरे इलाज के लिए रखा जा सके. साथ ही जनता-निजी भागीदारी के मॉडल पर भी विचार चल रहा है जिससे वर्ली के जंबो एनएससीएल जिसे एचएन रिलायंस अस्पताल चला रहा है उसका भी उपयोग किया जा सके
शहर के दो बड़े मेडिकल कॉलेज में कोविड से जुड़े दाखिले का असर साफ दिखाई दिया है, मसलन केईएम अस्पताल मे दूसरी लहर के दौरन 1561 मरीजों को भर्ती किया गया. वहीं पहली लहर में 5425 मरीज भर्ती हुए थे, यानी दूसरी लहर में करीब 70 फीसद की गिरावट देखने को मिली. डॉक्टर का कहना है कि गंभीर रोगियों की छंटाई करके केवल मॉडरेट और गंभीर मरीजों को ही अस्पताल में रखा गया. बाकि सभी को घर पर हर रहकर इलाज दिया गया.
केवल एक ही उम्र समूह था, केईएम में जिसमें उल्लेखनीय इजाफा देखने को मिला, वो था बच्चों का समूह. जहां केइएम में पहली लहर में 2 फीसद बच्चों का दाखिला हुआ था वहीं दूसरी लहर में भर्ती होने वालों की संख्या 13 फीसद पर जा पहुंची थी. इसी तह बीवायएल नायर अस्पताल में जहां पहली लहर में 6600 मरीज भर्ती हुए वहीं दूसरी लहर में मई तक ये संख्या 2000 थी. दरअसल कुछ अस्पतालों को कोविड केयर सेंटर बनाने के पीछे ये वजह भी थी कि मुलुंड, दहिसर और बीकेसी के जंबो सेंटर में सुधार कार्य चल रहा था. बीएमसी के फिलहाल मौजूदा जंबो अस्पतालों में 12 हज़ार बिस्तर उपलब्ध हैं. मलाड, कंजुरमार्ग और सोमैया ग्राउंड के जंबो सेंटर बनने के बाद ये संख्या 19900 तक पहुंच जाएगी.
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