Mumbai-Nagpur Expressway: सबसे ज्यादा मुआवजा पाने वाले परिवार ने कैसे किया निवेश, लेनी चाहिए इनसे सीख

प्रतीकात्मक तस्वीर (MoneyControl)
Mumbai-Nagpur Expressway में जमीन देने वाले कोल्टे परिवार को सबसे ज्यादा मुआवजा मिला है. उन्होंने कैसे इसका निवेश किया, इससे सीख लेनी चाहिए.
- News18Hindi
- Last Updated: December 11, 2020, 3:45 PM IST
नागपुर. मुंबई नागपुर एक्सप्रेस में अपनी जमीन सरकार के हवाले करने के बाद महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के एक किसान परिवार को सबसे ज्यादा मुआवजा मिला. तुलजापुर निवासी दन्यन्शेवर दिगंबर कोल्टे को 2018 के मार्च में शाम 5.58 बजे मैसेज मिला कि मुआवजे की रकम उनके खाते में ट्रांसफर हो गई है. उनके तीन भाइयों के परिवार को 23.4 करोड़ रुपये का मुआवजा मिला था. एक्सप्रेसवे के लिए कोल्टे परिवार ने अपने पुरखों की 16 में से 9.5 एकड़ जमीन दी थी.
37 वर्षीय दन्यन्शेवर ने कहा कि किसानी से हमारी सालाना आय 3 से पांच लाख रुपये के बीच थी. परिवार इस जमीन से भावनात्मक तौर पर काफी जुड़ा हुआ था लेकिन जब हमने मुआवजे की रकम का कैलकुलेशन शुरू किया तो हमने अपना मन बदल लिया.
किस तरह किया पैसों का निवेश
अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार कोल्टे परिवार में एकमात्र खेती करने वाले भाऊसाहेब कपास, बाजरा, अरहर, गेहूं, गन्ना और विभिन्न सब्जियों की खेती करते थे. जब उन्हें भारी भरकम मुआवजा (7 करोड़ रुपये से अधिक) का हिस्सा मिला, तो भाऊसाहेब ने वही किया, जो कोई भी किसान करेगा. उन्होंने खेती जारी रखने के लिए पास ही तीन एकड़ जमीन खरीदी. उन्होंने कहा कि वह अपने परिवार के लिए बड़ा घर भी बना रहे हैं. उनके बेटे राज भी बेकार नहीं बैठे हैं. वह एमबीए की पढ़ाई कर रहे हैं.FD और नए घरों के निर्माण में लगाया पैसा
भाऊसाहेब के भाई रवींद्र ने कहा कि परिवार विकास में बाधा नहीं डालना चाहता था. रवींद्र ने कहा, 'शुरू में परिवार के भीतर मतभेद थे. लेकिन सभी ने भरोसा किया. मुआवजे का पैसा मुख्य रूप से FD और नए घरों के निर्माण में लगाया गया है.'
परियोजना का हुआ था विरोध
जब साल 2016-17 में मुंबई और नागपुर के बीच 701 किलोमीटर की समृद्धि सड़क परियोजना शुरू की गई थी तो रास्ते में पड़ने वाले 10 जिलों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ. हजारों किसानों ने भूमि अधिग्रहण पर आपत्ति जताई और कई क्षेत्रों में अधिकारियों को भगा दिया. ज्यादा विरोध नासिक और औरंगाबाद में हुआ. 'समृद्धि मुर्दाबाद' प्रदर्शनकारियों का नारा बन गया.
25,000 एकड़ जमीन पाने के लिए 8,000 करोड़ रुपये का भुगतान
हालांकि जब सरकार ने अपनी भूमि अधिग्रहण नीति में संशोधन किया, तो उसने ज़मीन की कीमत की बाजार मूल्य से कई गुना अधिक कीमत दी. MSRDC के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक राधेश्याम मोपलवार ने कहा, 'हमने 34,000 परिवारों से 25,000 एकड़ जमीन पाने के लिए 8,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया.'
औरंगाबाद में MSRDC डिप्टी कलेक्टर और प्रशासक एच वी अरगुंडे ने कहा कि यह भारत में सबसे तेज़ भूमि अधिग्रहण था. इसे डेढ़ साल में पूरा किया गया था. किसी भी वजह की देरी से हमें साल में अतिरिक्त 5,600 करोड़ रुपये खर्च करने होते. किसानों को एक बड़ा मुआवजा पैकेज देना सबसे अच्छा विकल्प था. वर्तमान में परियोजना की लागत 55,335 करोड़ रुपये है.
किस तरह मनाया कोल्टे परिवार को
कोल्टे परिवार के भाइयों में से भाऊसाहेब ने औरंगाबाद जिले में आंदोलन किया. भाऊसाहेब ने कहा, "15 साल की उम्र से, मैं अपनी जमीन पर रह रहा हूं.' कोल्टे परिवार को मनाने के बारे में अधिकारी अरगुंडे ने बताया, 'मैं भाऊसाहेब और अन्य गांव के लोगों के साथ दो घंटे एक आम के पेड़ के नीचे बैठ गया और उन्हें मुआवजा पैकेज स्वीकार करने के लिए मनाया. उन्होंने आखिरकार भरोसा कर लिया. इस परिवार की जमीन इसलिए महत्वपूर्ण थी क्योंकि यह मौजूदा औरंगाबाद जलगांव हाइवे से सटी हुई है.'
एमएसआरडीसी के संयुक्त प्रबंध निदेशक चंद्रकांत पुलकुंडवार ने कहा कि निगम ने किसानों को मार्गदर्शन और परामर्श देने के लिए 320 संचारकों को काम पर रखा है कि वे अपने पैसे को कैसे फिर से निवेश करें. उन्होंने कहा, 'हमने उनके बच्चों के लिए एक कौशल विकास कार्यक्रम शुरू किया है.'
1 मई तक इस हिस्से का उद्घाटन!
अरगुंडे ने कहा, 'पिछले भूमि अधिग्रहण नीतियों के कारण किसानों की एक पूरी पीढ़ी को नुकसान उठाना पड़ा. मुआवजा मामूली था और उन्होंने मुकदमेबाजी में दशकों बिताए. इसे खत्म किया जाना था. साल 2013 में नया भूमि अधिग्रहण कानून एक बड़ा बदलाव था जो किसानों को उनकी भूमि के बाजार मूल्य से चार गुना अधिक राशि देता था. हालांकि, समृद्धि एक्सप्रेसवे के मामले में राज्य सरकार ने आगे बढ़कर परियोजना को गति देने के लिए इसे पांच गुना तक बढ़ा दिया.'
इस बीच, नागपुर और शिरडी के बीच एक्सप्रेस-वे का 502 किमी का हिस्सा 2021 के बीच तक पूरा होने की उम्मीद है. एक अधिकारी ने कहा, 'हम 1 मई तक इस हिस्से का उद्घाटन करना चाहते हैं.'

पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि अगले साल तक पूरा राजमार्ग नागपुर से मुंबई तक यातायात के लिए तैयार हो जाएगा. ठाकरे ने कहा कि राज्य में अन्य सड़क के कामों को तेजी से पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है. परियोजना को पूरा करने के लिए साइट पर 28,000 से अधिक श्रमिक कार्यरत हैं.
37 वर्षीय दन्यन्शेवर ने कहा कि किसानी से हमारी सालाना आय 3 से पांच लाख रुपये के बीच थी. परिवार इस जमीन से भावनात्मक तौर पर काफी जुड़ा हुआ था लेकिन जब हमने मुआवजे की रकम का कैलकुलेशन शुरू किया तो हमने अपना मन बदल लिया.
किस तरह किया पैसों का निवेश
अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार कोल्टे परिवार में एकमात्र खेती करने वाले भाऊसाहेब कपास, बाजरा, अरहर, गेहूं, गन्ना और विभिन्न सब्जियों की खेती करते थे. जब उन्हें भारी भरकम मुआवजा (7 करोड़ रुपये से अधिक) का हिस्सा मिला, तो भाऊसाहेब ने वही किया, जो कोई भी किसान करेगा. उन्होंने खेती जारी रखने के लिए पास ही तीन एकड़ जमीन खरीदी. उन्होंने कहा कि वह अपने परिवार के लिए बड़ा घर भी बना रहे हैं. उनके बेटे राज भी बेकार नहीं बैठे हैं. वह एमबीए की पढ़ाई कर रहे हैं.FD और नए घरों के निर्माण में लगाया पैसा
भाऊसाहेब के भाई रवींद्र ने कहा कि परिवार विकास में बाधा नहीं डालना चाहता था. रवींद्र ने कहा, 'शुरू में परिवार के भीतर मतभेद थे. लेकिन सभी ने भरोसा किया. मुआवजे का पैसा मुख्य रूप से FD और नए घरों के निर्माण में लगाया गया है.'
परियोजना का हुआ था विरोध
जब साल 2016-17 में मुंबई और नागपुर के बीच 701 किलोमीटर की समृद्धि सड़क परियोजना शुरू की गई थी तो रास्ते में पड़ने वाले 10 जिलों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ. हजारों किसानों ने भूमि अधिग्रहण पर आपत्ति जताई और कई क्षेत्रों में अधिकारियों को भगा दिया. ज्यादा विरोध नासिक और औरंगाबाद में हुआ. 'समृद्धि मुर्दाबाद' प्रदर्शनकारियों का नारा बन गया.
25,000 एकड़ जमीन पाने के लिए 8,000 करोड़ रुपये का भुगतान
हालांकि जब सरकार ने अपनी भूमि अधिग्रहण नीति में संशोधन किया, तो उसने ज़मीन की कीमत की बाजार मूल्य से कई गुना अधिक कीमत दी. MSRDC के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक राधेश्याम मोपलवार ने कहा, 'हमने 34,000 परिवारों से 25,000 एकड़ जमीन पाने के लिए 8,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया.'
औरंगाबाद में MSRDC डिप्टी कलेक्टर और प्रशासक एच वी अरगुंडे ने कहा कि यह भारत में सबसे तेज़ भूमि अधिग्रहण था. इसे डेढ़ साल में पूरा किया गया था. किसी भी वजह की देरी से हमें साल में अतिरिक्त 5,600 करोड़ रुपये खर्च करने होते. किसानों को एक बड़ा मुआवजा पैकेज देना सबसे अच्छा विकल्प था. वर्तमान में परियोजना की लागत 55,335 करोड़ रुपये है.
किस तरह मनाया कोल्टे परिवार को
कोल्टे परिवार के भाइयों में से भाऊसाहेब ने औरंगाबाद जिले में आंदोलन किया. भाऊसाहेब ने कहा, "15 साल की उम्र से, मैं अपनी जमीन पर रह रहा हूं.' कोल्टे परिवार को मनाने के बारे में अधिकारी अरगुंडे ने बताया, 'मैं भाऊसाहेब और अन्य गांव के लोगों के साथ दो घंटे एक आम के पेड़ के नीचे बैठ गया और उन्हें मुआवजा पैकेज स्वीकार करने के लिए मनाया. उन्होंने आखिरकार भरोसा कर लिया. इस परिवार की जमीन इसलिए महत्वपूर्ण थी क्योंकि यह मौजूदा औरंगाबाद जलगांव हाइवे से सटी हुई है.'
एमएसआरडीसी के संयुक्त प्रबंध निदेशक चंद्रकांत पुलकुंडवार ने कहा कि निगम ने किसानों को मार्गदर्शन और परामर्श देने के लिए 320 संचारकों को काम पर रखा है कि वे अपने पैसे को कैसे फिर से निवेश करें. उन्होंने कहा, 'हमने उनके बच्चों के लिए एक कौशल विकास कार्यक्रम शुरू किया है.'
1 मई तक इस हिस्से का उद्घाटन!
अरगुंडे ने कहा, 'पिछले भूमि अधिग्रहण नीतियों के कारण किसानों की एक पूरी पीढ़ी को नुकसान उठाना पड़ा. मुआवजा मामूली था और उन्होंने मुकदमेबाजी में दशकों बिताए. इसे खत्म किया जाना था. साल 2013 में नया भूमि अधिग्रहण कानून एक बड़ा बदलाव था जो किसानों को उनकी भूमि के बाजार मूल्य से चार गुना अधिक राशि देता था. हालांकि, समृद्धि एक्सप्रेसवे के मामले में राज्य सरकार ने आगे बढ़कर परियोजना को गति देने के लिए इसे पांच गुना तक बढ़ा दिया.'
इस बीच, नागपुर और शिरडी के बीच एक्सप्रेस-वे का 502 किमी का हिस्सा 2021 के बीच तक पूरा होने की उम्मीद है. एक अधिकारी ने कहा, 'हम 1 मई तक इस हिस्से का उद्घाटन करना चाहते हैं.'
पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि अगले साल तक पूरा राजमार्ग नागपुर से मुंबई तक यातायात के लिए तैयार हो जाएगा. ठाकरे ने कहा कि राज्य में अन्य सड़क के कामों को तेजी से पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है. परियोजना को पूरा करने के लिए साइट पर 28,000 से अधिक श्रमिक कार्यरत हैं.