मंडी कानून को लेकर शरद पवार ने क्या सच में बदल लिया रुख? NCP ने बताया 'सच'

Farmer Protest: यूपीए सरकार में कृषि मंत्री रहते हुए श्रद पवार (Sharad Pawar) ने खुद एपीएमसी कानून में संशोधन की मांग की थी. दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित (Sheila Dikshit) को लिखा गया उनका एक पत्र भी सामने आया है.
Farmer Protest: यूपीए सरकार में कृषि मंत्री रहते हुए श्रद पवार (Sharad Pawar) ने खुद एपीएमसी कानून में संशोधन की मांग की थी. दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित (Sheila Dikshit) को लिखा गया उनका एक पत्र भी सामने आया है.
- News18Hindi
- Last Updated: December 7, 2020, 11:27 AM IST
नई दिल्ली. किसान आंदोलन (farmers protest) का आज 12वां दिन है. केंद्र सरकार की ओर से लाए गए कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ किसान लगातार आंदोलन कर रहे हैं. 8 दिसंबर को उन्होंने भारत बंद (Bharat Bandh) का आह्वान किया है. उनके इस कदम का एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार (Sharad Pawar) ने भी समर्थन किया है, लेकिन इसके बाद वह खुद विवादों में आ गए हैं. समाचार एजेंसी पीटीआई ने सरकार से जुड़े सूत्रों के हवाले बताया कि यूपीए सरकार में कृषि मंत्री रहते हुए उन्होंने खुद एपीएमसी कानून में संशोधन की मांग की थी. उन्होंने इसके लिए मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा था. दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित (Sheila Dikshit) को लिखा गया उनका एक पत्र सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है.
वहीं एनसीपी ने इस चिट्ठी को लेकर सफाई दी है. पार्टी की तरफ से जारी बयान में बताया गया कि मॉडल एपीएमसी कानून (APMC ACT 2003) पूर्व की वाजपेयी सरकार द्वारा लाया गया था, लेकिन कई राज्य उस वक्त इसे लेकर अनिच्छुक थे. ऐसे में बतौर कृषि मंत्री पवार ने राज्य कृषि विपणन बोर्ड से सुझाव मंगाकर उनके बीच इस कानून पर एक आम सहमति बनाने की कोशिश थी.
5. 2007 के नियम में विवाद सुलझाने का अधिकार मार्केट समिति के पास है. मंडी समिति में किसानों का प्रतिनिधित्व होता है.
6. नए कृषि क़ानून में ये अधिकार SDM और उससे बड़े अधिकारियों के पास है.
7. 2007 के नियम में कृषि व्यापार का लाइसेन्स देने का अधिकार मार्केट समिति का है.
8. नए कृषि क़ानून में इन कम्पनियों को लाइसेन्स देने का अधिकार केंद्र के पास है, जो कृषि व्यापार संगठन या सहकारी समिति का हिस्सा नहीं हैं.

9. 2007 के नियम में कृषि व्यापार का अधिकार मंडियों के पास है, जो राज्य सरकारों के अधीन हैं.
10. नए कानून से जुड़े विषयों में ये अधिकार केंद्र के पास रहेंगे.
वहीं एनसीपी ने इस चिट्ठी को लेकर सफाई दी है. पार्टी की तरफ से जारी बयान में बताया गया कि मॉडल एपीएमसी कानून (APMC ACT 2003) पूर्व की वाजपेयी सरकार द्वारा लाया गया था, लेकिन कई राज्य उस वक्त इसे लेकर अनिच्छुक थे. ऐसे में बतौर कृषि मंत्री पवार ने राज्य कृषि विपणन बोर्ड से सुझाव मंगाकर उनके बीच इस कानून पर एक आम सहमति बनाने की कोशिश थी.
पार्टी ने इसके साथ ही कहा कि विभिन्न राज्य सरकारों को APMC एक्ट से किसानों को होने वाले फायदे बताए गए थे, जिसके बाद कई राज्यों ने आगे बढ़कर इसे लागू किया था.इस बीच वरिष्ठ पत्रकार और राज्यसभा टीवी के पूर्व सीईओ गुरदीप सिंह सप्पल ने अपने ट्विटर पेज पर शरद पवार का पत्र शेयर करते हुए तब और अब के उनके रुख को समझाया है. उन्होंने लिखा है, 'आज पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार का 2010 में मुख्यमंत्रियों को लिखा पत्र सोशल मीडिया में जारी हुआ है, जिसमें वे APMC में सुधार की वकालत कर रहे हैं. इशारा ये है कि वे अब राजनीति के चलते पाला बदल रहे हैं. पर क्या ये सच है? आइए देखें.'As agriculture minister, Pawar tried to form broader consensus among State Agriculture Marketing Boards by inviting suggestions for implementation of the Act.Benefit of farmers as per model APMC Act was explained to various state govts&many govts came forward to implement it: NCP https://t.co/r86WGNv2os
— ANI (@ANI) December 7, 2020
गुरदीप सिंह सप्पल ने इस पूरे पत्र की जानकारी दी है. उन्होंने इसके लिए दस प्वाइंट का उल्लेख किया है. उन्होंने लिखा है कि पत्र में Draft APMC Rules 2007 की वकालत की गयी है.1. इसमें राज्य सरकार को अधिकार दिया गया है कि किसी मार्केट को स्पेशल मार्केट या स्पेशल कमोडिटी मार्केट घोषित कर सके, जो मार्केट कमेटी के अधीन काम करेगी.2. नए कृषि बिल में कृषि व्यापार को मंडी समिति से दायरे से बाहर कर दिया है.3. 2007 के सुधार अनुसार मार्केट समिति को टैक्स लेवी, फ़ीस एकत्र करने का अधिकार था, जो राज्य के अन्तर्गत था.4. नए कृषि कानून में कोई APMC मंडी या राज्य सरकार टैक्स लेवी या फ़ीस नहीं ले सकती. (2007 की मार्केट समिति को मंडी समिति की तर्ज़ पर ही सुझाया गया है)आज पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार का 2010 में मुख्यमंत्रियों को लिखा पत्र सोशल मीडिया में जारी हुआ है, जिसमें वे APMC में सुधार की वकालत कर रहे हैं।
इशारा ये है कि वे अब राजनीति के चलते पाला बदल रहे हैं।पर क्या ये सच है? आइए देखें1/n pic.twitter.com/iFYeTX1XnJ— Gurdeep Singh Sappal (@gurdeepsappal) December 6, 2020
पत्र में Draft APMC Rules 2007 की वकालत की गयी है
1. इसमें राज्य सरकार को अधिकार दिया गया है कि किसी मार्केट को स्पेशल मार्केट या स्पेशल कमोडिटी मार्केट घोषित कर सके, जो मार्केट कमेटी के अधीन काम करेगी2. नए कृषि बिल में कृषि व्यापार को मंडी समिति से दायरे से बाहर कर दिया है।2/n— Gurdeep Singh Sappal (@gurdeepsappal) December 6, 2020
5. 2007 के नियम में विवाद सुलझाने का अधिकार मार्केट समिति के पास है. मंडी समिति में किसानों का प्रतिनिधित्व होता है.
6. नए कृषि क़ानून में ये अधिकार SDM और उससे बड़े अधिकारियों के पास है.
7. 2007 के नियम में कृषि व्यापार का लाइसेन्स देने का अधिकार मार्केट समिति का है.
8. नए कृषि क़ानून में इन कम्पनियों को लाइसेन्स देने का अधिकार केंद्र के पास है, जो कृषि व्यापार संगठन या सहकारी समिति का हिस्सा नहीं हैं.
9. 2007 के नियम में कृषि व्यापार का अधिकार मंडियों के पास है, जो राज्य सरकारों के अधीन हैं.
10. नए कानून से जुड़े विषयों में ये अधिकार केंद्र के पास रहेंगे.