महाराष्ट्र: पालघर में झील की खुदाई के दौरान मिलीं 6 से 12वीं शताब्दी की मूर्तियां

Maharashtra News: मुंबई से सटे पालघर जिले में 6 से 12वीं शताब्दी की तीन मूर्तियां मिली हैं. इसके संबंध में एएसआई को भी सूचित किया गया है.
Maharashtra News: मुंबई से सटे पालघर जिले में 6 से 12वीं शताब्दी की तीन मूर्तियां मिली हैं. इसके संबंध में एएसआई को भी सूचित किया गया है.
- News18Hindi
- Last Updated: December 22, 2020, 8:59 PM IST
मुंबई. महाराष्ट्र (Maharashtra) में मुंबई (Mumbai) के पालघर (Palghar) जिले में 6 से 12वीं शताब्दी के बीच की पत्थर की तीन मूर्तियां मिली हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक ये मूर्तियां शुक्रवार को पालघर जिले के जौहर तालुका में प्राचीन जामसर की झील की खुदाई के दौरान मिलीं. इस झील को हाल ही में ग्राम पंचायत द्वारा आर्द्रभूमि घोषित किया गया था. 6.6 हेक्टेयर के इस जल निकाय को बंद करने के लिए एक महीने से काम चल रहा था.
बालू धकाने नाम के एक गांव वाले ने बताया कि शुक्रवार को काम के दौरान श्रमिकों की ठोकर इन मूर्तियों पर लगी, जिसमें युद्ध नायकों और पांच सिरों वाली गाय की छवियां थीं. धकाने ने कहा कि इसके बाद काम रोक दिया गया और ग्रामीणों ने जौहर तहसीलदार संतोष शिंदे को सूचित किया जिन्होंने सोमवार को झील का दौरा किया. शिंदे ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकारियों को सूचित किया गया था. उन्होंने कहा कि इन कलाकृतियों को लेकर एएसआई ही अधिक जानकारी दे पाएगा. उन्होंने कहा कि 1986 में इसी तरह की मूर्तियां उसी झील में पाई गई थीं.
ये भी पढ़ें- ज्यादा लोगों को बीमार करने वाला है कोरोना का नया स्ट्रेन: स्वास्थ्य मंत्रालय
ग्रामवासियों ने की झील संरक्षण की मांगपिछले साल, जिला प्रशासन ने जामसर को 86 संभावित आर्द्रभूमि में से एक के रूप में चिन्हित किया है. जामसर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा तैयार राष्ट्रीय वेटलैंड इन्वेंटरी एटलस, महाराष्ट्र में शामिल है.

ग्रामवासियों ने राज्य से झील के संरक्षण में मदद करने का आग्रह किया क्योंकि वे इसे स्वयं बहाल करने में सक्षम नहीं हैं. 14 वीं शताब्दी में मुक्के राजवंश ने जौहर राज्य पर शासन किया. यह कई बदलावों से गुजरा और 600 से अधिक वर्षों तक चला, 1947 में भारत संघ में इसका प्रवेश हुआ.
बालू धकाने नाम के एक गांव वाले ने बताया कि शुक्रवार को काम के दौरान श्रमिकों की ठोकर इन मूर्तियों पर लगी, जिसमें युद्ध नायकों और पांच सिरों वाली गाय की छवियां थीं. धकाने ने कहा कि इसके बाद काम रोक दिया गया और ग्रामीणों ने जौहर तहसीलदार संतोष शिंदे को सूचित किया जिन्होंने सोमवार को झील का दौरा किया. शिंदे ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकारियों को सूचित किया गया था. उन्होंने कहा कि इन कलाकृतियों को लेकर एएसआई ही अधिक जानकारी दे पाएगा. उन्होंने कहा कि 1986 में इसी तरह की मूर्तियां उसी झील में पाई गई थीं.
ये भी पढ़ें- ज्यादा लोगों को बीमार करने वाला है कोरोना का नया स्ट्रेन: स्वास्थ्य मंत्रालय
ग्रामवासियों ने की झील संरक्षण की मांगपिछले साल, जिला प्रशासन ने जामसर को 86 संभावित आर्द्रभूमि में से एक के रूप में चिन्हित किया है. जामसर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा तैयार राष्ट्रीय वेटलैंड इन्वेंटरी एटलस, महाराष्ट्र में शामिल है.
ग्रामवासियों ने राज्य से झील के संरक्षण में मदद करने का आग्रह किया क्योंकि वे इसे स्वयं बहाल करने में सक्षम नहीं हैं. 14 वीं शताब्दी में मुक्के राजवंश ने जौहर राज्य पर शासन किया. यह कई बदलावों से गुजरा और 600 से अधिक वर्षों तक चला, 1947 में भारत संघ में इसका प्रवेश हुआ.