पुणे: महाराष्ट्र में चिकित्सा शिक्षा एवं औषधि विभाग (एमईडीडी) में संयुक्त निदेशक के रूप में कार्यरत 2008 बैच के आईएएस अधिकारी दौलत देसाई ने इस्तीफा दे दिया है. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, उन्होंने सोशल मीडिया पर एक लंबी भावुक पोस्ट लिखी है. उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें पीछे एक कोने में फेंकने के बाद ऐसे ही छोड़ दिया गया था, जो उनके लिए काफी निराशाजनक था. उन्होंने लिखा कि अब वह स्टील की चारदीवारी से बाहर आ गए हैं.
पीटीआई के मुताबिक, दौलत देसाई महाराष्ट्र में चिकित्सा शिक्षा एवं औषधि विभाग में तबादला होने से पहले कोल्हापुर के कलेक्टर थे. 2019 में जब कोल्हापुर में बाढ़ से काफी तबाही मची थी, तब देसाई ने मोर्चा संभाला था. अपने 14 साल के करियर के दौरान देसाई ने आपदा प्रबंधन विभाग के निदेशक और पुणे जिला परिषद के सीईओ के रूप में भी काम किया.
दौलत देसाई ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि अच्छी-बुरी भावनाओं के बीच मैं आप सभी को बताना चाहता हूं कि मैंने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) से खुद स्वेच्छा से इस्तीफा दे दिया है और मैं एक तथाकथित स्टील फ्रेम से बाहर आ गया हूं. मैंने सभी तरह के अधिकार, सुरक्षा, स्टेटस और प्रतिष्ठा को पीछे छोड़ दिया है! हालांकि इस फैसले के पीछे स्वास्थ्य भी एक तात्कालिक वजह है. लेकिन मेरे लिए ये काफी निराशाजनक है कि मुझे कोने में डंप करके छोड़ दिया गया था. वो भी तब, जब मैंने कोल्हापुर के कलक्टर के रूप में सबसे चुनौतीपूर्ण कार्यकाल पूरा किया.
देसाई ने कहा कि सिविल सेवा ने उन्हें जबरदस्त मौका दिया, पहचान दी और देश के लोगों की सेवा करने के अवसर दिया. मैं सोचता था कि मैं बहुत भाग्यशाली हूं, जिन्हें ये मौका मिला. मेरी यात्रा आश्चर्य और सफलताओं से भरी एक बहुत ही संतोषजनक और रोमांचक यात्रा रही. उन्होंने कहा कि अब यह आईएएस की ‘आभा’ छोड़ने और एक ‘आम आदमी’ बनकर बाहरी दुनिया में संघर्ष करने का समय है. और मुझे इसे लेकर कोई पछतावा नहीं है. मैं खुश और संतुष्ट हूं.
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